प्रयागराज में महाकुंभ: आज तीन प्रमुख अखाड़ों की होगी भव्य पेशवाई।

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प्रयागराज में महाकुंभ: आज तीन प्रमुख अखाड़ों की होगी भव्य पेशवाई।




.महाकुंभ 2025 के पहले प्रयागराज में अखाड़ों की पेशवाई (छावनी प्रवेश) का आयोजन जारी है। आज, 8 जनवरी को, तीन प्रमुख अखाड़ों की पेशवाई एक साथ निकाली जाएगी। इसमें श्री निर्वाणी अनि अखाड़ा, श्री निर्मोही अनि अखाड़ा, और श्री दिगंबर अनि अखाड़ा के जगद्गुरु, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत और नागा संन्यासी शामिल होंगे। ये सभी संत एक साथ महाकुंभ में प्रवेश करेंगे। भव्य यात्रा मेडिकल कॉलेज चौराहे के पास स्थित केपी कॉलेज से महाकुंभ मेले के लिए रवाना होगी।

भव्य शोभायात्रा की विशेषताएं

दिगंबर अनि अखाड़े के महामंडलेश्वर सरयू दास महाराज ने बताया कि तीनों अखाड़ों के संत पूरी भव्यता और श्रद्धा के साथ महाकुंभ के लिए रवाना हो रहे हैं। इस शोभायात्रा में रथ, बग्घियां, हाथी और घोड़े शामिल होंगे। साधु-संत इनमें सवार होकर भक्ति और परंपरा की झलक प्रस्तुत करेंगे। अभी तक कुल 7 अखाड़ों की पेशवाई हो चुकी है।

दिगंबर अखाड़े का विशेष परिचय

  • इष्टदेव हनुमानजी:
    दिगंबर अखाड़े के साधु-संतों के इष्टदेव हनुमानजी हैं। इनकी धर्मध्वजा पर भी हनुमानजी विराजमान रहते हैं। साधु-संत सफेद वस्त्र, तिलक और जटा-जूट धारण करते हैं। वे हाथ में माला और भाला लेकर चलते हैं।
  • संघर्ष का इतिहास:
    ये संत मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ मठ, मंदिर और सनातन धर्म की रक्षा के लिए लड़े थे।

भगवान विष्णु के अनुयायी

तीनों अनि अखाड़ों के संत भगवान विष्णु के अनुयायी होते हैं।

  • अखाड़ों का गठन:
    दिगंबर अखाड़ा करीब 600 साल पहले धर्म की रक्षा के लिए अयोध्या में स्थापित किया गया था। "अनि" का अर्थ है समूह या छावनी।
  • निर्मोही और निर्वाणी अखाड़ों की भूमिका:
    ये दोनों अखाड़े दिगंबर अखाड़े के सहायक माने जाते हैं।
  • सदस्यों की संख्या:
    वर्तमान में दिगंबर अखाड़े में 2 लाख से अधिक संत हैं।

महाकुंभ में आध्यात्म और परंपरा का उत्सव

आज की पेशवाई महाकुंभ की भव्यता और अखाड़ों की सांस्कृतिक, धार्मिक परंपराओं को प्रदर्शित करेगी।

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