यमुना: मोक्षदायिनी नदी और सांस्कृतिक विरासत
यमुना नदी भारतीय संस्कृति, पौराणिक इतिहास और आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे केवल एक नदी के रूप में नहीं, बल्कि एक देवी के रूप में पूजा जाता है।
गंगा की तुलना में यमुना का महत्व अधिक बताया गया है, क्योंकि यह केवल पापों का नाश नहीं करती, बल्कि मोक्ष का सीधा मार्ग भी प्रदान करती है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि गंगा के दर्शन और स्पर्श से पाप नष्ट होते हैं, लेकिन यमुना में स्नान से सीधा मोक्ष प्राप्त होता है—
"गङ्गायां दर्शनात् पापं स्पर्शनात् पातकं भवेत्।
यमुनायां तु यत्स्नानं मुक्तिः साक्षात् भवेद् ध्रुवम्॥"
यम-यमी कथा और भाई-बहन का पवित्र संबंध
यमुना को सूर्यदेव की पुत्री और मृत्यु के देवता यमराज की बहन कहा गया है। ऋग्वेद में यम-यमी का संवाद उल्लेखित है, जो भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता को दर्शाता है।
कथा के अनुसार, यमी ने यम से प्रेम प्रस्ताव रखा, लेकिन यम ने उसे समझाया कि वे दोनों भाई-बहन हैं, इसलिए यह उचित नहीं है। यमी को इसका बहुत दुख हुआ, और वह पश्चाताप में जल में विलीन हो गईं, जिससे यमुना नदी का जन्म हुआ।
इसी कथा के आधार पर "यम द्वितीया" (भाई दूज) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को भोजन कराती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
कहा जाता है कि इस दिन भाई-बहन यमुना में स्नान करें तो उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
श्रीकृष्ण और यमुना का विशेष संबंध
यमुना को विशेष रूप से द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के कारण पवित्र माना गया। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ, जो यमुना के किनारे स्थित है।
उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, बरसाना और गोवर्धन में बीता— ये सभी स्थल यमुना के तट पर बसे हैं।
- श्रीकृष्ण ने कालिय नाग को इसी नदी में पराजित किया और इसे विष मुक्त किया।
- रासलीला और गोपियों के साथ उनकी दिव्य लीलाएं यहीं संपन्न हुईं।
- पुराणों में यमुना को श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक बताया गया है।
यमुना का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
यमुना नदी केवल धार्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- ब्रज संस्कृति की जननी मानी जाती है।
- इसके किनारे बसे शहर— दिल्ली, मथुरा, आगरा और प्रयागराज— भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं।
- ताजमहल और आगरा किला जैसे ऐतिहासिक स्मारक यमुना के तट पर ही स्थित हैं।
- निष्कर्ष
- यमुना भारतीय जीवन पद्धति और आध्यात्मिकता की आधारशिला है। यह न केवल गंगा के समान पवित्र मानी जाती है, बल्कि इसे मोक्षदायिनी भी कहा गया है।
- जब यह प्रयागराज में गंगा से मिलती है, तो संगम क्षेत्र की पवित्रता कई गुना बढ़ जाती है। महाकुंभ के दौरान यहां स्नान करने से जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलने का विश्वास किया जाता है। यही कारण है कि यमुना को केवल एक नदी नहीं, बल्कि मोक्ष की देवी माना गया है।
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