भारतीय संविधान ने हिंदी को "राष्ट्रभाषा" का दर्जा नहीं दिया है, बल्कि इसे "राजभाषा" के रूप में मान्यता दी है। इस संदर्भ में मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
1. संविधान में हिंदी की स्थिति
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है।
- हालांकि, अंग्रेजी को भी सरकारी कामकाज में सहायक भाषा के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी गई है।
- संविधान के अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि हिंदी का विकास इस प्रकार होना चाहिए कि यह भारत की विविध भाषाओं के संपर्क माध्यम के रूप में कार्य कर सके।
2. राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर
- राजभाषा: राजभाषा का मतलब है कि यह सरकार और प्रशासन के कामकाज में उपयोग की जाने वाली भाषा है।
- राष्ट्रभाषा: राष्ट्रभाषा किसी देश की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक होती है। भारत में किसी भी भाषा को "राष्ट्रभाषा" का दर्जा नहीं दिया गया है।
3. हिंदी दिवस और कानून
- हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। इस ऐतिहासिक घटना को याद करने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
- राजभाषा अधिनियम, 1963 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि हिंदी और अंग्रेजी दोनों का इस्तेमाल सरकारी कामकाज में किया जा सकता है।
4. सोशल मीडिया और बहस
आर. अश्विन के बयान से यह स्पष्ट है कि लोगों को "राष्ट्रभाषा" और "राजभाषा" के अंतर को लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है। भारत एक बहुभाषी देश है, जहां विभिन्न भाषाओं का सम्मान और उपयोग किया जाता है।
इसलिए यह कहना सही होगा कि संविधान ने हिंदी को "राजभाषा" का दर्जा दिया है, न कि "राष्ट्रभाषा को ।
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