महाकवि गोस्वामी तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन -परिचय ।

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महाकवि गोस्वामी तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन -परिचय ।

 


गोस्वामी तुलसीदास भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन के एक महान संत और कवि थे। उनके जीवन और कृतित्व की यह जानकारी अद्भुत रूप से उनके धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक योगदान को रेखांकित करती है।


 उनके कार्यों ने न केवल भक्तिकालीन साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि भारतीय समाज में राम भक्ति और आदर्शों को भी गहराई से स्थापित किया।


तुलसीदास के प्रमुख पहलू:

  1. प्रारंभिक जीवन: तुलसीदास का जन्म सोरों, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके जन्म की विशेषताओं और जन्म के समय की किंवदंतियों ने उन्हें जन्म से ही एक असाधारण व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया। उनके माता-पिता द्वारा त्याग दिए जाने के बाद, उनका बचपन संघर्षों और देवी की कृपा के बीच बीता।

  2. रामचरितमानस की रचना: यह महाकाव्य हिंदी साहित्य का रत्न है। यह वाल्मीकि रामायण की कहानी को अवधी भाषा में सरल और प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करता है। इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा और गाया जाता है। रामचरितमानस में तुलसीदास ने राम और उनके आदर्श चरित्र को जन-जन तक पहुंचाया।

  3. अन्य रचनाएँ: हनुमान चालीसा, विनय पत्रिका, कवितावली आदि उनकी अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं, जो भक्ति और नैतिकता से ओतप्रोत हैं। उनकी कृतियों ने भक्ति और समाज में सुधार का संदेश दिया।

  4. भगवान श्रीराम से भेंट: तुलसीदास का राम और हनुमान जी के साथ अद्वितीय संबंध उनके जीवन का एक पवित्र अध्याय है। भगवान राम के दर्शन और उनकी भक्ति ने तुलसीदास के साहित्य को दिव्यता प्रदान की।

  5. साहित्यिक योगदान और प्रभाव: तुलसीदास ने भक्ति आंदोलन को दिशा दी और समाज में धर्म और नैतिकता के प्रति जागरूकता पैदा की। उनके रामचरितमानस को विश्वभर में महान काव्यों में स्थान मिला है।

निष्कर्ष: तुलसीदास का जीवन एक प्रेरणा है, जिसमें त्याग, संघर्ष, भक्ति और रचनात्मकता का अद्भुत मेल है। उनके कार्यों ने भारतीय समाज, धर्म और संस्कृति को अमूल्य धरोहर दी है। उनकी कृतियाँ आज भी न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि साहित्यिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी प्रासंगिक हैं।

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