इस वर्ष 2025 में षट्तिला एकादशी 24 जनवरी की शाम 7:25 बजे से प्रारंभ होकर 25 जनवरी की रात 8:31 बजे तक रहेगी। इस दिन व्रत का पालन और भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
षट्तिला एकादशी का पौराणिक महत्व
षट्तिला एकादशी से जुड़ी कथाओं के अनुसार, प्रह्लाद पर हुए अत्याचार से भगवान विष्णु क्रोधित हुए और उनके क्रोध के पसीने से धरती पर तिल उत्पन्न हुए।
इसलिए तिल को पवित्र और शुभ माना गया है। षट्तिला एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तिल का उपयोग छह अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। इन उपायों को अपनाने से सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
षट्तिला एकादशी पर शुभ योग
इस वर्ष षट्तिला एकादशी पर विशेष शुभ योग बन रहे हैं।
- ध्रुव योग: इस योग में किया गया दान और पूजा अक्षय पुण्य प्रदान करता है।
- शिववास योग: यह योग शांति, समृद्धि और आंतरिक संतुलन लाने वाला होता है।
- चंद्र-मंगल का संयोग: यह सकारात्मक ऊर्जा और मनोकामना पूर्ति में सहायक है।
- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र: इसे आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
तिल के 6 प्रयोग
षट्तिला एकादशी का अर्थ है छह तरीकों से तिल का उपयोग। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इन छह उपायों का पालन करना अनिवार्य माना गया है:
- तिल मिले जल से स्नान: शरीर और मन की शुद्धि के लिए तिलयुक्त जल से स्नान करना अत्यंत लाभकारी है।
- तिल के तेल से मालिश: यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- तिल से हवन: भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए हवन सामग्री में तिल का उपयोग किया जाता है।
- तिल मिश्रित जल का सेवन: तिलयुक्त जल पीने से शरीर शुद्ध और रोगमुक्त होता है।
- तिल का दान: ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को तिल का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- तिल से बने पदार्थों का सेवन: तिल के लड्डू, खीर, या अन्य व्यंजन बनाने और खाने से यह दिन और भी शुभ बनता है।
पूजा की विधि
षट्तिला एकादशी पर सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित करें।
तिल, फूल, फल, और पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें। व्रत के दौरान पूरे दिन सात्विक आहार ग्रहण करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
सार
षट्तिला एकादशी 2025 का यह पावन दिन ग्रहों के शुभ संयोग के कारण अत्यंत फलदायक है।
इस दिन तिल के छह प्रयोग करने और विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह न केवल जीवन को पवित्रता और समृद्धि से भर देता है, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
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