विष्णु पुराण में वर्णित ये भविष्यवाणियां न केवल कलियुग के समाज का गहन चित्रण करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि धन का समाज और मानव मूल्यों पर कितना प्रभाव पड़ सकता है। इन भविष्यवाणियों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
धन कमाना ही मनुष्य का एकमात्र लक्ष्य
कलियुग में मनुष्य का जीवन धन अर्जित करने तक सीमित हो जाएगा। शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यों का उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ प्राप्त करना बन जाएगा। नैतिकता और सिद्धांतों का महत्व घट जाएगा।धन के बल पर गलतियां छुपेंगी
समाज में धनवान व्यक्ति की गलतियां अनदेखी की जाएंगी। उसे सम्मान और अधिकार केवल उसके धन के आधार पर मिलेगा। परिवार और समाज में सबसे अधिक कमाने वाला व्यक्ति सर्वोच्च दर्जा प्राप्त करेगा।धन प्राप्ति से अंहकार में वृद्धि
जिसके पास अधिक धन होगा, उसका अहंकार उतना ही अधिक बढ़ेगा। ऐसे लोग स्वयं को श्रेष्ठ मानेंगे और धनहीन व्यक्तियों का शोषण करेंगे। समाज में गरीब लोगों का सम्मान कम होगा।घर बनाने में धन का अधिक उपयोग
मनुष्य अपनी अधिकांश कमाई घर बनाने और संपत्ति खरीदने में खर्च करेगा। दान और पुण्य जैसे कार्यों में धन लगाने की बजाय, बड़े और भव्य घर बनाना जीवन का प्राथमिक उद्देश्य बन जाएगा।धनवान लोगों की देवताओं की तरह पूजा
धनवान लोगों को समाज में देवता के समान पूजा जाएगा। उनका सम्मान उनकी संपत्ति के आधार पर किया जाएगा, न कि उनके गुणों या कर्मों के कारण। उनकी बुरी आदतों को भी समाज सराहेगा, जबकि गरीबों को हेय दृष्टि से देखा जाएगा।
विचारणीय बिंदु
ये भविष्यवाणियां समाज को आत्मविश्लेषण करने और यह समझने के लिए प्रेरित करती हैं कि नैतिक मूल्यों, समता और दया को प्राथमिकता देना कितना आवश्यक है। कलियुग के इन लक्षणों को समझकर व्यक्ति और समाज अपने आचरण में सुधार ला सकते हैं।
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