किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की चिकित्सा सहायता स्वीकारने और केंद्र द्वारा अगले महीने बातचीत का न्योता देने के बाद भूख हड़ताल समाप्त हुई। इससे आंदोलन में थोड़ी राहत मिली है। 121 किसानों ने भी अपना अनशन खत्म कर दिया।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य में सुधार के संकेत मिलने और केंद्र सरकार द्वारा अगले महीने बातचीत के लिए किसानों को आमंत्रित करने के बाद, कई मोर्चों पर किसान आंदोलन में थोड़ी राहत मिली है।
डल्लेवाल एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगों के समर्थन में भूख हड़ताल पर थे, अब वे मेडिकल हेल्प ले रहे हैं। इसके साथ ही खनौरी में उनके साथ एकजुटता में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे 121 किसानों ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है।
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने भी 20 जनवरी को बीजेपी सांसदों और सीनियर नेताओं के दफ्तरों और आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन की अपनी योजना को स्थगित कर दिया है।
मेडिकल हेल्प के लिए राजी हो गए डल्लेवाल
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले साल 26 नवंबर से किसानों की मांगों के समर्थन में खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे थे।
केंद्र सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा उनसे मुलाकात करने और अगले महीने बातचीत का न्योता देने के बाद, डल्लेवाल चिकित्सा सहायता लेने के लिए तैयार हो गए। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वह अपना उपवास नहीं तोड़ेंगे।
121 किसानों ने भी तोड़ा अनशन
डल्लेवाल के साथ एकजुटता दिखाने के लिए खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल पर बैठे 121 किसानों ने रविवार को अपना अनशन तोड़ा। भारतीय किसान यूनियन (BKU) सिद्धूपुर के महासचिव काका सिंह कोटरा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि पंजाब के 111 किसान 15 जनवरी से डल्लेवाल के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठे थे और अगले दिन हरियाणा के 10 और किसान उनके साथ शामिल हो गए थे।
शनिवार रात डल्लेवाल द्वारा चिकित्सा सहायता लेने के बाद, इन किसानों से भी अपना अनशन तोड़ने का अनुरोध किया गया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
रविवार दोपहर सभी 121 किसानों को संतरे का जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त करवाया गया। कोटरा ने कहा, 'यह हमारे संघर्ष की एक बड़ी जीत है क्योंकि सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा। यह हमारे संघर्ष की एक बड़ी जीत है क्योंकि सरकार को आखिरकार झुकना पड़ा।'
आज बनाएंगे आगे की रणनीति
इस बीच, शंभू और खनौरी बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसान संगठन सोमवार को बैठक कर यह तय करेंगे कि 17 जनवरी को घोषित कार्यक्रम के अनुसार 22 जनवरी को 101 किसानों के चौथे जत्थे को पैदल मार्च करते हुए दिल्ली जाने के लिए शंभू बॉर्डर पार कर हरियाणा में भेजा जाएगा या नहीं। इससे पहले 6 दिसंबर, 8 दिसंबर और 14 दिसंबर को तीन बार ऐसा प्रयास किया जा चुका है।
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