Sociology: सामाजिक विभेदीकरण से आप क्या समझते हैं ? सोरोकिन द्वारा किए गए सामाजिक विवेदीकरण का वर्णन कीजिए।

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Sociology: सामाजिक विभेदीकरण से आप क्या समझते हैं ? सोरोकिन द्वारा किए गए सामाजिक विवेदीकरण का वर्णन कीजिए।

 

 






सामाजिक  विभेदीकरण   ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के भीतर   ही विभिन्न  प्रस्थितियाँ भूमिकाएँ स्वर तथा समुह मौजूद होते हैं। 



अलग-अलग    विद्वानों ने सामाजिक विभेदीकरण  की परिभाषा अलग-अलग दी  है। आइसनस्टेट के अनुसार , सामाजिक विभेदिकरण  ऐसी स्थिति है जो प्रत्येक छोटी या बड़ी सामाजिक इकाई में मौजूद होती है क्योंकि   विभिन्न      कार्य करते है तथा विभिन्न भूमिकाएँ निभाते है.


 अनेक तरीकों में निकट से अंतर्संबधित होते हैं। 


रिजर की सामाजिक विभेदीकरण परिभाषा के अनुसार यह एक वंशा नुक्रम पदतती है जिसमें वशागत तथा सामाजिक रूप से अर्जित व्यक्तिगत अंतर सामाजिक कार्यों को करने तथा सामाजिक स्थानों को भरने का आधार बनते है , सामाजिक असमानता और सामाजिक


स्तरीकरण का पूर्वगामी है। 


स्टेबिस सामाजिक विभेदीकरण को ऐसे परिभाषित करता है कि यह विस्तृत 

 सामाजिक प्रक्रिया है जिसमे लोगों के बीच आयु , लिंग , व्यक्तीकर्म , मानवजातीय और सामाजिक स्तरी करण की भूमिकाओं के आधार पर भेद किया जाता हैं । 



सोरोकिन सामाजिक विभेदीकरण को दो मुख्य श्रेनियों के संदर्भ में परिभाषित करता हैं यथार्थ अंतरसमूह विभेदीकरण और अंतरसमूह विभेदीकरण ।



 उसके अनुसार , अंतरसमूह विभेदीकरण , समूह के समूहों में विभाजन द्वारा प्रदरसित होता हैं जो किसी समूह में भिनन कार्य करते हैं । 



सामाजिक विभेदीकरण का सोरोकींन   द्वारा किया गया वर्गीकरण इस प्रकार हैं :     

(अ ) एकबंध समूह : एकबंध समूह वे होते हैं जिनके सदस्य किसी एक मूल्य या रुचि से बंधे रहते हैं । ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं :




(क ) जैव सामाजिक मूल्यों के आधार पर प्रबंधित समूह जैसे , 

(1) प्रजाति 

(2) लिंग 

(3) आयु । 



               

 (ख )विशिष्ट सामाजिक   सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर प्रबंधित समूह जैसे ,

(1) नातेदारी समूह 


(2) समूह जैसे पड़ोस, क्षेत्रीयता पर आधारित।



(3) भाषा संस्कृति और इतिहास के समुदाय पर आधारित राष्ट्रीय और मानव जाति समूह,


(4) राज्य समूहः


(5) व्यवसाय संबंधी समूह,


(6) आर्थिक समूह)


(7) धार्मिक समूहः


(8) राजनीतिक समूह,



(9) वैचारिक तथा सांस्कृतिक समूह,


( 10) छोटा समूह जिसमें विशिष्ट लोग हों।


   (ब )   बहुबंद समूह: ये समूह दो या उससे अधिक एकबद मूल्यों के संयोजन से बनते हैं:


(क ) मुख्य पारिवारिक संरचनाएँ,


(ख ) वंश एवं जनजातियों


(ग) राष्ट्र


(घ ) जातियाँ


(ड़ ) सामाजिक व्यवस्थाएँ,


(च) सामाजिक वर्ग।


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