रोजगार के बढ़ते हुए अवसरों के अनुपात में अतिशय विकास नगरीकरण का सूचक हैं । इसका अर्थ यह है कि नगरी आबादी इतनी ज्यादा हो जाए कि शहर अपने निवासियों को एक उत्कर्ष जीवनशैली देने में असमर्थ हो जाए।
अतिनगरीकरण के आधार निम्नलिखित है:
(1) औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के स्तरों में स्पष्ट रूप से असंतुलन होना।
(2) नगरीकरण की प्रक्रिया उपलब्ध संसाधनों का एक बड़ा भाग हुड्प जाती है और इस प्रकार से समाज के आर्थिक विकास में समस्याएँ खड़ी करती है।
जन-सुविधाओं और नागरिक सेवाओं की उपलब्धि में कमी होना।
(३) अतिनगरीकरण से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न होती है:
(1) आवास की समस्याः नगरों में आबादी में तेज गति से हो रही वृद्धि के कारण सबसे खेदजनक समस्या आवास की होती है। नगरों में 77 प्रतिशत परिवारों में औसतन 5 व्यक्ति एक कमरे में रहते हैं।
2) असुरक्षित और अपर्याप्त जल आपूर्तिः घरेलू उपयोगों के लिए जल की उपलब्धता आधारभूत जन-सुविधाओं में से एक है। भारत के लगभग 30 प्रतिशत नगर-निवासी पीने के शुद्ध पानी की सुविधा से वंचित है।
(3) अप्रभावी और अपर्याप्त परिवहन नगरों में जनसंख्या बवने से स्थानीय के लिए परिवहन की समस्या जटिल हो गई है।
परिवहन के साधन एकसाथ द हुए भीड-भाड़ व ट्रैफिक जाम का एक विवित्र दृश्य खड़ा करते है। नगरी कुछ भी परिवहन का जाल पाया जाता है. वह भी दर्दशा के कारण दार प्रदूषण का एक प्रमुख कोत बन जाता है।
(4) पर्यावरण संबंधी गिरावट आबादी तथा प्रौद्योगिकीय प्रदूषण के स्रोतों के साथ पर्यावरण प्रदूषण के कारणों में मानवीय कारक को नजरअंदाज नहीं किया सकता।
अतिनगरीकरण से जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण है समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे नगर के पर्यावरण के स्तर में गिरावट होती।
(5) प्रदूषणः अतिनगरीकरण से प्रदूषण जैसी भयावह समस्या उत्पन्न होती है, ज त्त्वास्थ्य एवं मानव सुख-शांति के लिए घातक होती है। नगरों में प्रदूषण का स्वर बढ़ा घोत भीड़-भाड़ से भरी सड़कों पर चलने वाले लगातार बढ़ते परिवहन के साधन है।
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