क्षेत्रीय या भौतिक सामाजिक विभे दीकरण जनजातीय समाजों की एक विशिष्टता है।
क्षेत्रीय विभेदीकरण की अवधारणा आंध्र प्रदेश के चेचु जैसे सरल जनजातीय समाज से लेकर मीजों और नागा जैसे अधिक विकसित जनजातीय समूहों में भी मौजूद है।
हिमाचल प्रदेश के गद्दी जैसे समाजों में भी क्षेत्रीयता की अवधारणा देखी जाती है। क्षेत्रीयता तथा अवधारणाओं का विचार, हालांकि, जनजातीय समूहों में भिन्न-भिन्न होता है।
नागाओं में, ग्राम सरचना के माध्यम से क्षेत्रीय विभेदीकरण की एक विशिष्ट परंपरा है। एक नागा गाँव या तो गणतंत्र होता है या राजा के अधीन, जिसमें आत्मनिर्भर और स्वतः स्पष्ट ढाँचे के सभी तत्त्व होते हैं।
कई बार, किसी कारणवश, मुख्य गाँव में से नए गाँव बनते हैं। किसी मुख्य गाँव में, तीन से अधिक या चार से अधिक और आत्मनिर्भर गाँव हो सकते हैं।
कुछ जनजातीय समाजों में, एक गावं में उप-विभाजन या स्थान भी होते हैं। सामान्यतः, प्रत्येक क्षेत्र या इकाई में विशिष्ट रूप से एक गोत्र का अधिकार होता है।
उदाहरण के लिए, नागा गाँवों में, विशिष्ट क्षेत्र होते हैं जहाँ कोई गोत्र अधिक होता है। ऐसे स्थानों को, अंगामी नागा और तंगखुल नागा क्रमशः 'खेल' तथा तग' कहते हैं। प्रत्येक 'खेल' या 'तंग' वास्तव में, गाँव का अंश होने के बावजूद एक गाँव होता है।
समाज में विभिन्न प्रकार के मौसम होते हैं जो विभिन्न मौसमों में किए जाने वाले विभिन्न कार्यों में अंतर पैदा करते हैं।
मौसम में कम परिवर्तन वाले समाजों में भी, कुछ मौसम संबंधीपरिवर्तन होते हैं जिनसे उनकी भूमिकाएँ विभेदीकृत होती है।
अतः मौसम में परिवर्तन भी सामाजिक विभेदीकरण पैदा करने में अपनी भूमिका निभाता है।
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