नवीन सामाजिक आंदोलन (NSMs) समाज के नए प्रतिनिधित्व का प्रतिर्विद है जिसकी पहचान पश्च-पूँजीवाद, पश्च औद्योगिकवाद तथा पश्च भौतिकवाद से होती है।
सम 1960 तथा 1970 के दशकों में यूरोपीय तथा अमेरिकी समाजों ने व्यापक आदोलनों को जन्म दिया जो ऐसे मुद्दों तथा प्रश्नों को लेकर थे जो अभौतिकतावादी प्रकृति के थे।
इन आंदोलनों ने सामान्यतः ऐसे मुद्दे उताए जो मूलतः सांस्कृतिक तथा मानवीय थे। क्षेत्र अथवा स्थान विशेष के प्राचीन प्रकार के सामाजिक आंदोलनों के विपरीत नए आंदोलन सार्वभौमिक उपयोगिता वाले लक्ष्यों, उद्देश्यों तथा मूल्यों को अपनाते है।
उनका उद्देश्य मानवता के सारतत्त्व की रक्षा करना तथा उन स्थितियों की सुरक्षा करना है, जिन पर मानव जीवन निर्भर करता है। 'नवीन' आंदोलनों का विचारधारात्मक निरूपण पहचान, मानव प्रतिष्ठा, शांति तथा सामाजिक न्याय के प्रश्नों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहता है।
इनमें पूँजीवाद 'वर्ग शोषण, वर्ग क्रांति आदि पर परिचर्चाओं से राज्य शक्ति की बढ़ती प्रकृति तथा नागरिक तथा नागरिक समाज
घटते दायरे जैसे प्रश्नों में मूल परिवर्तन हुआ है। इन नए आंदोलनों में, व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वच्छंदता, पहचान तथा सामाजिक समानता की समस्याएँ दाँव पर होती हैं ।
इन आंदोलनों में रोजगार वेतन 'बोनस' तथा 'आर्थिक सुरक्षा के प्रश्न नहीं है जैसे कि अधयोगिक क्षेत्र में उपयोग किए जाते है न ही भूमि तथा भूमि उत्पादों में भागीदारी के प्रश्न है। नवीन सामाजिक आंदोलन को वो उप प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।
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