Sociology: संरचना, प्रकार्य और नव-प्रकार्यवाद (Structure, Function and Neo-Functionalism)

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Sociology: संरचना, प्रकार्य और नव-प्रकार्यवाद (Structure, Function and Neo-Functionalism)

       





    Sociology:      यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि समाजशास्त्र और सामाजिक मानव विज्ञान में प्रकार्यात्मक सिद्धांत ने इतनी रुचि पैदा की जितनी कि इतिहास में किसी भी अन्य सिद्धांत ने नहीं की। 




1930 से 1960 की अवधि तक इसकी प्रतिष्ठा अविवादित थी, क्योंकि इसके समर्थक सह सर्वोच्च वरीयता प्राप्त विद्वान थे जिन्हें सिद्धांत और कार्यविधि दोनों रूप में उन्हें विकसित करने के अलावा विभिन्न अन्य योगदानों के लिए भी जाना जाता था और अभी भी जाना जाता है। 



इसमे प्रसिद्ध अमेरिकी समाजशास्त्री, टॉलकाट पारसन्स प्रसिद्ध है जिन्हें पारिवारिक समाजशास्त्र, सामाजिक प्रणाली, चिकित्सा संस्थानों में काले लोगों के व्यवसाय और समस्याओं इत्यादि में भूमिका विश्लेषण में योगदान के लिए माना जाता है। 



इसी प्रकार उनके शिष्य मर्टन का सामाजिक सरचना और एनोमी, विचलन और अनुरूपता, नौकरशाही में दुष्प्रकार्य, सर्वेक्षण विधियों, भूमिका निर्धारण आदि में हमेशा संदर्भ के रूप में प्रयोग किया जाएगा।



 यह इकाई प्रकार्यवाद की समालोचनात्मक उत्पत्ति और नव प्रकार्यवाद के उद्भव पर केंद्रित है। इस इकाई में हम नवप्रकार्यवाद की सकल्पना का अध्ययन करेंगे जैसा कि समाजशास्त्रीय लेखों में इसका वर्णन किया गया है और साथ ही इसके गुण-दोषों की जाँच भी करेंगे।


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