Sociology: प्रवासन का आधुनिक समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्रवा सन का तात्पर्य है आवास का परिवर्तन । प्रवासन शब्द का अर्थ भौगोलिक क्षेत्र में पशुओं और पक्षियों जैसे जीवों का संचालन है।
यह एक स्थान से दूसरे स्थान की. व्यक्तिगत रूप से आवास समूहों में, लोगों के संचलन की ओर संकेत करता हैं ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार 'प्रवासन निवास स्थान को परिवर्तित करते हुए एक भौगोलिक इकाई से अन्य भौगोलिक इकाई में विचरण का एक स्वरूप है।
प्रवासन के अतर्गत दो गतिशीलता हो सकती है. जब कोई व्यक्त्ति अपना देश छोड़कर दूसरे देश में जाकर बसता है, उसे या बहिर्गन्तुक तथा स्वदेश छोड़कर बाहर जाकर बसने की प्रक्रिया को बहिर्गमन कहा जाता हैं ।
समाजशास्त्रियों, जनांकिकीकारों एवं भूशास्त्रियों ने प्रवासन के अध्ययन पर अपना ध्यान केंद्रित किया है ताकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर लोगों के संचालन के किसी स्वरूप विशेष के निहितारथों को समझा जा सके।
प्रवासन विषयक अधिकाश समाजशास्त्रीय अध्ययनों में प्रवासन से संबंधित पहलू का विश्लेषण किया गया है और साथ ही इन पहलुओं का भी कि प्रवासन किस प्रकार भौगोलिक क्षेत्रों को प्रभावित करता है
और किस प्रकार वह सामाजिक संरचनाओं में बदलाव लाता है। वर्तमान भूमण्डलीकरण के दौर में प्रवासन निरंतर बढ़ता जा रहा है, खासकर परदेशीय प्रवासन और यह समाजों की नितात प्रकृति को बदलता जा रहा है.
मूल देशों में भी और उन देशों में भी जहाँ लोग प्रवास करते है। इससे प्रवासन की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया वन जाती है,जिससे
पूरी तरह समझे जाने और विश्लेषित किए जाने की आवश्यकता होती है।
प्रस्तुत इकाई में के प्रकार, प्रवासन के प्रवाह, प्रवासन के कारक, प्रवासन का प्रभाव तथा प्रवृत्तियों का वर्णन किया गया हैं ।
इसके अंतर्गत प्रवासन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया गया हैं और प्रवासन को समझने के लिए समाजशास्त्रियों द्वारा की गई कुछ समुक्तियों पर प्रकाश डाला गया हैं ।
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