Sociology: समाज का पूँजीवादिगों और श्रमिक वर्गों में कोई अन्य विभाजन नहीं था। इसके साथ ही मध्य व र्ग नामक एक नया वर्ग उत्पन्न हुआ। इस वर्ग ने संरचना के परपरागत पूँजीवादी और श्रमिक वर्ग द्वैतवाय में परिवर्तन किया।
यह नया वर्ग जो मध्ययुगौन वर्ग से भिन्न है। मध्ययुगीन मध्य वर्ग में तो केवल छोटे व्यापारी लोग ही थे और वह सजातीय वर्ग के समान था।
इस इकाई के अतर्गत भारत में मध्य वर्ग को आधुनिक कहकर परिभाषित नहीं किया जा सकता, बल्कि आधुनिकता व्यक्तियों की सोच व दृष्टिकोण में होनी चाहिए,
जो दूसरों से उनके सामाजिक सबधों के दौरान दिखाई दे। आधुनिकता अपने साथ लेन-देन के नए रूप को विकसित करती है।
बेरेली ने एक नवीन मध्य वर्ग का वर्णन किया है 'नया मध्य वर्ग न केवल व्यवसाय द्वारा, बल्कि शिक्षा द्वारा भी परिभाषित है।
भारत के मध्य वर्ग के मूलों की व्युत्पति इतने अधिक औद्योगिक शासन क्रांति या लोकतांत्रिक क्रांति से ही नहीं मिलती, जितनी कि उपनिवेशी शासन से हुई है।
मैकाइवर के अनुसार, 'आर्थिक कसौटी पर परिभाषित वर्ग सदस्यता एव आत्मनिष्ठ वर्ग-चेतना के मध्य कोई अनिवार्य सबंध नहीं हैं।
प्रस्तुत इकाई में, भारत में समकालीन समयों में मध्य वर्ग' की संकल्पना को समझने का प्रयास किया गया है।
इस इकाई में विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से वर्ग की सकल्पना, मध्य-वर्ग की परिभाषा और भारत में मध्य वर्ग के विकास पर संक्षिप्त व्याख्या की गई है। साथ ही मध्य वर्ग में परिवार, विवाह और सगोत्रता से संबंधित मूल्यों का विस्तार से अध्ययन किया गया है।
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