समाजशास्त्र की सभी शाखाओं में नातेवारी का समाजशास्त्र एक अत्यत महत्त्वपूर्ण शाखा है, क्योंकि नातेदारी का संबंध विवाह एवं परिवार से है।
परिवार एक ऐसी सस्था है, जिसके सदस्यों की सख्या एवं इसके उपलब्ध साधनो में सतुलन होता है।
परिवार को नागरिकता की प्रथम पाठशाला कहा जाता है। परिवार ही यह अहम् इकाई है जो बच्चों के समाजीकरण के माध्यम से संस्कृति के हस्तांतरण का कार्य करती है।
यह बच्चों के जीवन को अनुशासित करने और सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप व्यवहार सिखाती है, जिसमें परिवार की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
भारत में संयुक्त तथा एकांकी परिवार में अतर को स्पष्ट किया गया। भारत में किस प्रकार समय-समय पर परिवार के आयामों में परिवर्तन आए है. इस इकाई के माध्यम से ज्ञात हो जाता है।
इस इकाई में परिवार व घर की संस्थाओं, उनकी विशिष्टताओं और दृष्टिकोणों की ओर विचार करने का प्रयास किया गया है, साथ ही अन्य ग्रंथों में विद्यमान परिवार के विभिन्न दृष्टिकोणों को स्पष्ट किया गया है।
इस इकाई ने 'घरेलू तमूह' के प्रक्रियात्मक पक्ष को उपलब्ध कराने वाले घर और उसके विकास के विस्तृत विवरण का आलोचनात्मक रूप से विश्लेषण किया गया है।
इस इकाई में आपके लिए विभिन्न समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्यों की संक्षिप्त रूपरेखा दी गई है, यह प्रकार्यवादी परिप्रेक्ष्य, विवाद परिप्रेक्ष्य जिसमें परिवार पर नारीवादी विचार शामिल थे, सास्कृतिक परिप्रेक्ष्य और सहयोगात्मक-विवाद परिप्रेक्ष्य है।
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