Sociology: नागरिक समाज और लोकतंत्र (Civil Society and Democracy)

Advertisement

6/recent/ticker-posts

Sociology: नागरिक समाज और लोकतंत्र (Civil Society and Democracy)

       


    



पिछले कुछ   वर्षों में नागरिक समाज की अवधारणा और लोकतन्त्र के प्रति चिता ने शैक्षणिक   चर्चाओं ,   बहस और लेखन में परे विश्व में एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है।




 विचारधारा की   दुनिया में      सबसे अहम मुद्दा नागरिक समाज का ही है। नागरिक समाज की तरह लोकतन्त्र भी एक   गतिशील   अवधारणा है। जहाँ एक समाज सयुक्त रूप से आत्मनिर्णय करता है। 




लैटिन अमेरिका, अफ्रीका  तथा पूर्व साम्यवादी देशों के प्रतिरोधी समूहों द्वारा अत्याचार के विरुद्ध किया गया सघर्ष ही  नागरिक   समाज की लोकप्रियता का मुख्य कारण है। 



लोकतंत्र में नागरिक समाज की भूमिका या   कार्य  पर प्रकाश डालते हुए लारी डायमण्ड ने अपनी पुस्तक “रिथिकिग सिविल सोसाइटी में लेख किया है कि नागरिक समाज लोकतंत्र को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 




   डेविड    हेल्ड ने नागरिक समाज की अवधारणा को एक सामाजिक परिभाषा देने का प्रयास करते हुए   कहा     कि नागरिक समाज का अपना इस हद तक एक अलग विचित्र चरित्र है।




 इस इकाई में हम नागरिक  समाज तथा लोकतंत्र के बीच संबंध पर प्रकाश डालेंगे। नागरिक समाज के खतरों का लोकतंत्रीकरण पर प्रभाव का विस्तार से वर्णन करेंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ