Sociology: सीमाएँ एवं सीमा अनुरक्षण (Boundaries and Boundary Maintenance)

Advertisement

6/recent/ticker-posts

Sociology: सीमाएँ एवं सीमा अनुरक्षण (Boundaries and Boundary Maintenance)

                 







    Sociology:   भूमंडलीय संसार में संजातीय पहचान की धारणा एक महत्त्वपूर्ण सकल्पना के रूप में उभरकर आई   हैं ।



  कभी-कभी यह राष्ट्रवाद का रूप ले लेती है. तो कभी यह राजनीतिक रूप से राष्ट्र राज्यों के  मध्य उपराष्ट्रीयता के निर्माण के लिए उत्तरदायी है तथा नागरिकता की धारणा को निश्चित करती   हैं । 




मैक्स वेबर के अनुसार ऐसे मानव समूह शारीरिक समानताओं रीति-रिवाजों के कारण अपनी   साझी     विरासत में विश्वास करते हैं तथा वे समूह निर्माण के लिए आवश्यक है।




 उपसंहार के रूप में  संकल्पनाएं    निर्माण, सीमाएँ समकालीन राजनीति और सामाजिक वास्तविकताओं को समझने के लिए   प्रासंगिक है। समाजशास्त्रीय सिद्धांत में सीमाओं का अर्थ तथा राजनीतिशास्त्र में सीमा निर्माण   में    बहुत अंतर है।



 ब्रास का संजातीय विश्लेषण और सीमा अनुरक्षण के प्रति एक निश्चित विचार है। अपनी आलोचनात्मक टिप्पणी में वह कहता है कि सामान्यतः समाजशास्त्रीय सिद्धांत जो संजातीय    समूहों   और राज्य के लिए प्रासंगिक है वे पूरे समाज पर ध्यान केंद्रित करते हैं। 





इस इकाई में हम सातीयता की परिभाषा, संजातीय समूह और उनकी सीमाएँ, विश्लेषण तथा सिद्धांत का अध्ययन करेंगे । इस इकाई में हम सीमाएँ और सीमा अनुरक्षण की जटिल प्रक्रिया को स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे । 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ