Sociologi:संजातीय समूह (Ethnic Group) को परिभाषित कीजिए ।

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Sociologi:संजातीय समूह (Ethnic Group) को परिभाषित कीजिए ।

 



संजातीय समूह (Ethnic Group) एक ऐसा समूह होता है, जिसकी पहचान सांस्कृतिक, भाषाई, धार्मिक, ऐतिहासिक, या भौगोलिक विशेषताओं पर आधारित होती है। ये समूह अक्सर साझा मूल, परंपराएँ, और रीति-रिवाजों के कारण परस्पर एकता की भावना रखते हैं।


मैक्स वेबर के अनुसार, संजातीय समूह उन व्यक्तियों का समूह है जो यह विश्वास करते हैं कि वे समान शारीरिक विशेषताओं, परंपराओं, या सांस्कृतिक विरासत के कारण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, चाहे उनके बीच वास्तविक रक्त संबंध हो या नहीं। यह विश्वास समूह निर्माण का आधार बनता है।


फ्रेडरिक बार्थ ने संजातीय समूहों की पहचान के बारे में कहा कि संजातीय सीमाएँ (Boundaries) स्थिर नहीं होतीं, बल्कि सामाजिक प्रक्रियाओं, संपर्क, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कारण बदलती रहती हैं। उनके अनुसार, संजातीय समूहों का अस्तित्व उन प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जो सदस्यों को सम्मिलित या बहिष्कृत करने का कार्य करती हैं।


विशेषताएँ:

साझा सांस्कृतिक विरासत: समूह के सदस्य एक समान संस्कृति, भाषा, धर्म, या इतिहास साझा करते हैं।


सामूहिक पहचान: इस समूह के सदस्यों में आपसी समानता और एकता की भावना होती है।


सामाजिक प्रक्रियाएँ: यह समूह विशेष सामाजिक क्रियाओं और सीमाओं के आधार पर अपनी पहचान बनाए रखता है।


संजातीय समूह (Ethnic Group) उन व्यक्तियों का समूह है, जो साझा सांस्कृतिक परंपराओं, भाषाई समानताओं, धार्मिक विश्वासों, ऐतिहासिक अनुभवों, या भौगोलिक मूल के आधार पर अपनी पहचान बनाते हैं। ऐसे समूह आपसी विरासत की भावना रखते हैं और सामान्य रीति-रिवाजों, परंपराओं, और सामाजिक मूल्यों को साझा करते हैं।



संजातीय समूह की पहचान में निम्नलिखित प्रमुख तत्व शामिल हो सकते हैं:



सांस्कृतिक विशेषताएँ – जैसे भाषा, भोजन, संगीत, या पहनावा।

साझा इतिहास – समूह का यह विश्वास कि उनका एक साझा ऐतिहासिक अनुभव है।


भौगोलिक संबंध – एक विशेष क्षेत्र या स्थान से जुड़े होने का अहसास।


सामाजिक एकता – समानता और एकजुटता की भावना।


मैक्स वेबर के अनुसार, संजातीय समूह का निर्माण इस विश्वास पर आधारित होता है कि उसके सदस्य साझा विरासत या परंपराओं के कारण एक विशेष समूह का हिस्सा हैं, चाहे उनके बीच कोई जैविक या रक्त संबंध हो या न हो।


संजातीय समूहों की पहचान और सीमाएँ समाज के सांस्कृतिक और राजनीतिक संदर्भों में बनती और बदलती रहती हैं।

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