इसे एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशेंसी सिंड्रोम (Acquired Imunno Deficiency Syndrome) भी कहतें हैं।
यह एक प्राणघातक रोग है जो महामारी का रूप धारण कर रहा है। पश्चिम देशों में तो यह रोग बहुत फैल रहा है। सामान्य जनता इसके तीव्र प्रचार से आतंकित है।
रोग की पहचान होने में लगभग दो वर्ष लग जाते हैं। जिस प्रकार भारत में इस रोग का प्रसार हो रहा है, उससे
लगता है कि 2000 ई. तक यह भारत जैसे विकासशील देशों में भी महामारी का रूप ले लेगा।
इसका कारण: इस रोग का कारण HLTV III नामक विषाणु है। अफ्रीका के हरे बंदरों में हानि रहित अवस्था में यह विषाणु का पाया जाता है।
एड्स का यह विषाणु निकट संपर्क के कारण मानवीय शरीर में प्रवेश कर पाया। अफ्री का की जनसंख्या बहुत बडा भाग यूरोपीय देशों में स्थानांतरित हुआ है। परिणामतः रोगों का भयंकर रूप से आक्रमण हुआ हैं ।
फैलने के साधन (Modes of Spread):
(1) जब औरत या पुरुष एक से अधिक से यौन संबंध रखते हैं तो उन्हें यह रोग होने की संभावना अधिक होती हैं ।
(2) एड्स के फैलने का दूसरा कारण संक्रमित सीरिंजों का प्रयोग करना है।
(3) मादक द्रव्यों की आदत से भी एड्स हो सकता है।
(4) संक्रमित रेजर से शेव करने से भी यह रोग फैल सकता है।
(5) वैश्याओं के साथ बिना कंडोम के यौन संबंध स्थापित करने से भी यह रोग हो जाता है।
(6) अधिक चुंबन करने से भी यह रोग हो जाता है।
(7) जब किसी रोगी को एड्स से पीड़ित रोगी का रक्त चढ़ा दिया जाता है तो भी उसे यह रोग हो जाता हैं ।
(8) कई बार समलैंगिकता के कारण भी यह रोग हो जाता है।
रोग के लक्षण : (1) एड्स से ग्रस्त रोगी का वजन लगातार कम होने लगता है।
(2) एड्सग्रस्त मनुष्य को लंबी अवधि तक बुखार रहने लगता है।
(3) त्वचा में तेज खुजली होना भी एड्स का कारण लक्षण है।
(4) लगातार खांसी का होना भी एड्स का लक्षण है।
उपचार (Treatment): 'एड्स' का अभी तक कोई प्रभावी उपचार नहीं खोजा जा सका है।
क्योंकि इसमें रोगी घुट-घुटकर मर जाता है। वह पूर्णतः बेकार हो जाता है। इसका उपचार के लिए सरकार को चाहिए कि वे जनता में इस बात का प्रसार करे कि यह कैसे फैलता है और इसे कैसे रोका जा सकता हैं ।
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