पूँजीवाद के विकास एवं प्रकार्य का वर्णन कीजिए।

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पूँजीवाद के विकास एवं प्रकार्य का वर्णन कीजिए।

 




 sociology वास्तव में पूँजीवाद के विकास को परिपक्वता के अनेक स्तरों के माध्यम से विभिनन  अवस्थाओं में वर्गीकृत किया गया है जिसमें से प्रत्येक अवस्थाको विशिष्ट गुणों द्वारा पहचाना  जाता है:

 

(क) पूँजीवाद की अवस्थाएँ : पूँजीवाद का विकास, परिपक्वता के विविध स्रों द्वारा  विविध अवस्थाओं में वर्गीकृत है। 



इनमें से प्रत्येक को विशिष्ट गुणों द्वारा पहचान जाता है जब हम अवस्थाओं का पता लगाने का प्रयास करते है और इनमें से किसी  एक का चयन पूँजीवाद की आरंभिक अवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया  जाता है। 



यदि हम उत्पादन के विशिष्ट तरीके के रूप में पूँजीवाद की बात करते हैं  तो यह कहा जा सकता है कि हम व्यापारी वर्ग और बड़े पैमाने की ट्रेनिंग के नजर  आने के पहले संकेतों से इस पद्धति का अनुमान नहीं लगा सकते और हम मर्चेट

 

 

 

 

 

 

 

 

पूँजीवाद की विशिष्ट अवधि घर बात नहीं कर सकते। जब उत्पादन वो तरीके में परिवर्तन होता है तभी हम पूँजीवादी अवधि की शुरुआत देखते हैं।



 मार्क्स का प्रमुख कार्य पूँजी शब्द में निहित है। माक्र्स ने अपने जीवन के बहुत से वर्ष पूँजीवाद के विश्लेषण पर खर्च किए क्योंकि वह इस बात से संतुष्ट था कि पूँजीवाद की व्यावहारिक समीक्षा को सुविधाजनक बनाने के लिए संपूर्ण सैद्धांतिक समझ की जरूरत थी।




 राजनीतिक अर्थव्यवस्था एडम स्मिथ और डेविड रिकार्डों जैसे क्लासिकी बुर्जुआ अर्थशास्त्रियों द्वारा विकसित आर्थिक सिद्धांत के लिए जोर पकड़ता है। मार्क्स ने इनके सिद्धांतों का बारीकी से अध्ययन किया।



 उसने इनके सिद्धांतों से शुरुआत की और मूल्य, बस्तु, धन, पूँजी आदि जैसी उनकी श्रेणियों पर ध्यान देते हुए इनका गूढ आलोचनात्मक अध्ययन किया। मार्क्स पूँजीवाद की अत्तल प्रकृति को उभारने की ओर अग्रसर है।




 इस प्रक्रिया में वह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की सशक्त वैज्ञानिक वैधता को तोड़ देता है और न सिर्फ पूँजी के विश्लेषण के लिए नया वैज्ञानिक मॉडल प्रदान करता है बल्कि पूँजीवाद की संपूर्णता की बुनियादी समीक्षा के लिए आधारशिला भी बनाता है।

 

() पूँजीवाद की राजनीतिक अर्थव्यवस्था : पूँजीवाद का अध्ययन करने और इसके विशिष्ट स्वरूप को समझने के दो तरीके हैं और पूर्ण समझ प्राप्त करने के लिए हमें दोनों तरीकों को सम्झना जरूरी है। 



पहला तरीका है, इसके इतिहास का अध्ययन करना, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और इसका विकास कैसे हुआ, इन बातों को समझना और किन परिस्थितियों में इसे विकसित किया गया और इसका परिणाम क्या हुआ।



 इसके लिए न सिर्फ आर्थिक प्रगति का अध्ययन जरूरी है बल्कि समग्र बुर्जुआ समाज के विकास को भी समझना जरूरी है। यह एक विस्तृत क्षेत्र है क्योंकि प्रत्येक देश का इस संदर्भ में अपना एक निजी इतिहास होता है। 



लेकिन ऐसे अध्ययन पूँजीवाद का अध्ययन करने के दूसरे तरीके का पूँजीवादी समाज की आर्थिक संरचना के सुव्यवस्थित विश्लेषण का नाम देते हैं। ऐसे मामले में शुरुआत ऐतिहासिक उत्पत्ति संबंधी बिंदुओं की बजाए समग्र रूप से पूँजीवादी पद्धति से होनी चाहिए।



 यह वही उपागम है जिसका अनुसरण मार्क्स 'पूँजी' में करता है

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