विशबंधन या अलगाव की अवधारणा एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से विशिष्ट स्थिति या प्रक्रिया से अलग होने को दर्शाता है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग हीगल द्वारा किया गया था।
चूंकि वह विचारवादी था इसलिए उसने कहा कि विषय वस्तु से कट जाना ही विसबधन कहलाता है। मार्क्स एक भौतिकवादी था तथा हीगल से असहमति व्यक्त करते हुए तथा उसके निजी विचारों को भौतिकतावादी दृष्टिकोण में ढालते हुए कहा कि मानवता ऐतिहासिक युगों को वर्णित करने में खो गई।
उसने कहा कि अलगाव व्यक्ति की यह दशा है जिसमें उसके अपने कार्य पराई शक्ति बन जाते हैं. जो उसके द्वारा शासित ने होकर उससे ऊँची परंतु उसी के विरुद्ध होती है।
पूँजीपतियो द्वारा श्रमिकों के शोषण के तरीके को मार्क्स ने अधिशेष मूल्य के सिद्धांत पर समझाया है। मार्क्स के अनुसार यहाँ का किसान भूमि जोतता तो था, लेकिन वह उसका मालिक नहीं था। भूमि का मालिक तो संपूर्ण समुदाय था।
श्रम का अप-मानवीकरण करना मार्क्स के अनुसार विसंबंधन का एक अन्य पहलू है।
श्रम का अप-मानवीकरण करने में आधुनिक पूँजीवादी व्यवस्था में अधिशेष मूल्य का सिद्धात, नए वर्गों का आविर्भाव एवं श्रम विभाजन ने अपना योगदान दिया।
प्रस्तुत इकाई में हम विसंबंधन की संकल्पना का विस्तार से अध्ययन करेंगे तथा आधुनिक समाज का विश्लेषण करनें में यह कैसे लागू की जाती है।
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