हरियाणा के सिरसा जिल में जर्मनी वीजा के नाम पर ठगी का बड़ा मामला, 29.73 लाख रुपये हड़पने का आरोप, पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर शुरू की जांच जारी
हरियाणा के सिरसा जिले नाथूसरी चोपटा थाना क्षेत्र में विदेश में रोजगार की तलाश में जाने वाले भोले-भाले लोगों के साथ ठगी का एक गंभीर मामला में सामने आया है। इस मामले में चार लोगों पर आरोप है कि उन्होंने जर्मनी वर्क वीजा दिलाने का झांसा देकर चार व्यक्तियों से 29.73 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ितों ने सिरसा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई है। इस शिकायत के आधार पर नाथूसरी चोपटा थाना पुलिस ने प्रारंभिक जांच कर मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच शुरू कर दी है।
पीड़ित पवन स्वामी पुत्र जय नारायण स्वामी, देवी लाल पुत्र रघुबीर गोबिन्द पुत्र शीशपाल स्वामी, निवासीगण गांव दडवाकला. तहसील नाथूसरी चौपटा जिला सिरसा। अनिल कुमार स्वामी पुत्र भागीरथ स्वामी, निवासी गाव खरवारा, जिला बिकानेर (राजस्थान) ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि दोषीगण प्रवीन लाखलान पुत्र राजेन्द्र लाखलान, निवासी गांव पीरखेड़ा, जिला सिरसा, सुदेश बामल पुत्र राजा बामल गावं फरवाईकलां, जिला सिरसा, प्रमोद बैनीवाल पुत्र रूप राम, निवासी गांव बीडभादरा, विनोद पुत्र सतपाल लाखलान, निवासी पीरखेड़ा व अन्य के द्वारा प्रार्थी के साथ किए जाने धोखाधडी, जालसाजी, अमानत में ख्यानत, पैसे ऐठने तथा गैर-कानूनी रूप वर्क वीजा के नाम पर उन्हें ठगा। आरोपियों ने भरोसे में लेकर यह वादा किया कि वे उन्हें कानूनी तरीके से जर्मनी भेजेंगे। शुरुआत में 18 लाख रुपये प्रति व्यक्ति खर्च का हवाला देते हुए पीड़ितों से दस्तावेज और पैसे मांगे गए।
पीड़ितों का कहना है कि सुदेश बामल का पिता पहले से पवन स्वामी के पिता को जानता था, जिससे भरोसा कायम हुआ। सुदेश ने कहा कि उसका बेटा जर्मनी में रहता है और वह जर्मनी जाने में मदद कर सकता है। इस वादे पर विश्वास करके चारों पीड़ितों ने अपने दस्तावेज और रकम दोषियों को सौंप दी।
विदेश यात्रा की शुरुआत और ठगी का खुलासा
दोषियों ने पीड़ितों को जर्मनी भेजने के लिए कहा कि पहले उन्हें अरमेनिया जाना होगा। पीड़ितों ने भरोसा करके 7 नवंबर 2023 को दिल्ली से अरमेनिया के लिए उड़ान भरी। अरमेनिया पहुंचने पर, दोषी वहां मौजूद थे और उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ दिन वहीं रुकना होगा। इस दौरान पीड़ितों के रहने और खाने-पीने का खर्चा भी खुद उन्हें उठाना पड़ा।
तीन-चार महीने तक अरमेनिया में रुकने के बाद, दोषियों ने कहा कि जर्मनी वीजा के लिए उन्हें दुबई जाना होगा। इस पर पीड़ितों ने फिर अपने खर्च पर टिकट खरीदी और दुबई के लिए रवाना हुए। दुबई पहुंचने के बाद, दोषियों ने कहा कि जर्मनी का वीजा हासिल करने के लिए 20 लाख रुपये प्रति व्यक्ति और देने होंगे। जब पीड़ितों ने विरोध किया और कहा कि उन्होंने पहले ही पूरी रकम अदा कर दी है, तो दोषियों ने उन्हें फिर अरमेनिया भेज दिया।
दुबई और अरमेनिया में रहने के दौरान, पीड़ितों का खर्चा लगातार बढ़ता गया। दोषियों के झांसे में आने के कारण उनका प्रति व्यक्ति करीब 3 लाख रुपये और खर्च हो गया।
शिकायतकर्ताओं ने अपनी दरख्वास्त में कहा है कि दोषियों ने संगठित तरीके से एक गिरोह बना रखा है, जो भोले-भाले लोगों को विदेश भेजने का झांसा देकर ठगता है। इस गिरोह के सदस्य विदेश जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को पहले उनके परिवार के भरोसेमंद व्यक्तियों के माध्यम से संपर्क करते हैं। इसके बाद वर्क वीजा और अन्य दस्तावेजों की आड़ में उनसे मोटी रकम ऐंठते हैं।
दोषियों का यह भी दावा था कि वे पहले कई लोगों को विदेश भेज चुके हैं, जिससे पीड़ितों का भरोसा बढ़ा। शिकायत के अनुसार, दोषी विनोद, जो कि स्थानीय निवासी है, पूरे गिरोह का काम संभालता है और विदेश जाने वाले व्यक्तियों को सारे फर्जी आश्वासन देता है।
पंचायत में आरोपियों की स्वीकारोक्ति
जब पीड़ितों ने भारत वापस आने के बाद दोषियों से पैसे लौटाने की मांग की, तो उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया। इसके बाद पीड़ितों और गांव के अन्य मौजिज व्यक्तियों ने 4 अगस्त 2024 को एक पंचायत का आयोजन किया। पंचायत में दोषियों ने अपनी गलती मानी और अक्टूबर 2024 तक पैसे लौटाने का वादा किया। हालांकि, बाद में उन्होंने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया।
पुलिस ने शिकायत के आधार पर प्राथमिक जांच की, जिसमें पाया गया कि पीड़ितों ने आरोपियों के खातों में अलग-अलग किश्तों में बड़ी रकम ट्रांसफर की थी। इसके अलावा, पुलिस ने पीड़ितों के वीजा और पासपोर्ट का अध्ययन किया, जिसमें विभिन्न देशों के इमीग्रेशन कार्यालयों द्वारा "रिफ्यूज" की मोहरें पाई गईं। यह दर्शाता है कि वीजा प्रक्रिया में पहले ही गंभीर अनियमितताएं थीं।
पुलिस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोषियों ने पीड़ितों को विश्वास में लेकर बड़ी रकम हड़पने के इरादे से संगठित अपराध को अंजाम दिया।
रकम का विवरण
शिकायत में दी गई जानकारी के अनुसार, पीड़ितों ने दोषियों के खातों में आरटीजीएस और यूपीआई के माध्यम से कई बार पैसे भेजे। कुछ रकम नकद भी दी गई। पुलिस को सौंपी गई लेन-देन की सूची के अनुसार, विभिन्न तारीखों पर 50,000 रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक की राशि ट्रांसफर की गई। इस दौरान 22 अगस्त 2023 को 50,000 रुपये विनोद लाखलान के खाते में ट्रांसफर किए गए। 27 सितंबर 2023 को 4 लाख रुपये प्रवीन लाखलान के खाते में भेजे गए। 5 फरवरी 2024 को 1 लाख रुपये उमेद लाखलान को दिए गए। इसी प्रकार करीब 29.73 लाख रुपये दिए गए हैं। पीड़ितों के अनुसार, जब उनसे पैसे वापस मांगे गए, तो आरोपियों ने धमकी दी और कहा कि वे जो करना चाहें कर सकते हैं। आरोपियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनका उद्देश्य केवल पैसे ऐंठना था।
पुलिस की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला संगीन अपराध का है और दोषियों ने संगठित तरीके से भोले-भाले लोगों को ठगने का काम किया। रिपोर्ट में IPC की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर गहन जांच की सिफारिश की गई है। पीड़ितों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और उनकी रकम वापस दिलाई जाए। उनका कहना है कि दोषियों की ठगी के कारण उन्हें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है। . पवन स्वामी पुत्र जय नारायण स्वामी, देवी लाल पुत्र रघुबीर गोबिन्द पुत्र शीशपाल स्वामी, निवासीगण गांव दडवाकला. तहसील नाथूसरी चौपटा जिला सिरसा। अनिल कुमार स्वामी पुत्र भागीरथ स्वामी, निवासी गाव खरवारा, जिला बिकानेर (राजस्थान)। की तरफ से उतरवादीगण के खाता में पैसे आरटीजीस व यूपीआई व कुछ नकद देने बारे की बात सामने आई है । सिरसा जिले के नाथूसरी चोपटा थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि यह मामला संगठित अपराध का प्रतीक है और दोषियों के पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया जाएगा।
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