प्रकार्यवाद सामाजिक मानवविज्ञान एवं समाजशास्त्र में उपागम का नाम है जिसके अनुसार समाज अत संबद्ध भागों का एक साकल्य है, जिसमें हर एक भाग साकल्य के अनुरक्षण में योगदान करता है।
समाजशास्त्र का कार्य और उद्देश्य समाज के प्रत्येक अंग या भाग के द्वारा किए गए योगदान के बारे में जानकारी प्राप्त करना है
तथा इस बात का भी पता लगाना है कि इन विभिन्न भागों के व्यवस्थित क्रम में समाज किस प्रकार कार्य करता है। प्रकार्य का शाब्दिक अर्थ उद्देश्य को संपन्न करना अथवा पूर्ण करना होता है।
अग्रेजी के फंक्शन शब्द का प्रयोग उत्सव के रूप में, व्यवसाय के अर्थ के रूप में, पद पर आसीन व्यक्ति के कार्यकलाप के रूप में, गणितीय अर्थ के रूप में और जीवन विज्ञान के अर्थ में किया गया है।
कुछ विद्वान हेनरी डी सेट साइमन को 10वीं शताब्दी के अतिम और 19वीं शताब्दी के प्रारंभिक प्रकार्यवादी विचारक मानते हैं, लेकिन सामान्यतया प्रकार्यवाद की रूपरेखा को समाजशास्त्र विषय में आगस्त काम्टे द्वारा लाया गया माना जाता है।
वे
पहले समाजशास्त्री थे जिन्होंने सावयव एवं समाज को समान स्तर पर रखा। इस इकाई में, हम समाज वैज्ञानिक लेखों की अवधारणा पर
प्रकाश डालेंगे।
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