सत्ता के सैद्धांतिक और संकल्पनात्मक मुद्दे ( The Conceptual and Theoretical Issues of Power)

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सत्ता के सैद्धांतिक और संकल्पनात्मक मुद्दे ( The Conceptual and Theoretical Issues of Power)

 


 

साधारण शब्दों में सत्ता का अर्थ है किसी  व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्तियों के समूह के व्यवहार को अपनी इच्णानुसार प्रभावित करने की योग्यता।


 वास्तव में सत्तां दो लोगों के बीच अधीनता और अधिकार के संबंधों की व्याख्या करती है। ता को समझने और व्याख्यायित करने में अनेक विद्वानों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से इस पर विचार व्यक्त किए है एवं सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है।



 सत्ता के दो परस्पर विरोधी संदर्भ भी है, जहाँ एक तरफ कुलीन वर्ग की सत्ता है.



 वहीं दूसरी तरफ स्थानीय समुदाय की सत्ता भी है। मैक्स वेबर ने बताया कि प्रभुता से सत्ता एक अवधारणा के  रूप में भिन्न होती है।



 जर्मनी के समाजशास्त्री कार्ल मार्क्स को वर्ग और वर्ग सघर्ष की अवधारणा के लिए जाना जाता है। 



उन्होंने बताया है कि आधुनिक पूँजीपाद समाज में दो वर्ग होते हैं एक शासक वर्ग (बुर्जुआ वर्ग) और दूसरा मजदूर वर्ग (सर्वहारा वर्ग)। बुर्जुआ वर्ग शासक करता है एवं मजदूर वर्ग या सर्वहारा वर्ग आज्ञापालन का कार्य करता है।



 इस इकाई में हम सत्ता के परस्पर दो विरोधी संवों में अभिव्यक्त होने की चर्चा करेंगे एक तरफ कुलीन वर्ग और दूसरी तरफ स्थानीय समुदाय।

 

 

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