रेडक्लिफ ब्राउन की संरचनात्मक प्रकार्यात्मक उपागमों की मान्यतयाएं क्या थी ?

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रेडक्लिफ ब्राउन की संरचनात्मक प्रकार्यात्मक उपागमों की मान्यतयाएं क्या थी ?



 

सामाजिक संरचना एवं प्रकार्य की अवधारणा की विवेचना रेडक्लिफ   ब्राउन ने   ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका की जनजातियों के संदर्भ में की है   तथा सामाजिक संरचना को ब्राउन  ने संपूर्ण रूप में देखा और माना  कि इसकी विभिन्न निर्णायक इकाइयाँ  अपने - अपने प्रकार्यात्मक    योगदान के माध्यम से उसके अस्तित्व को बनाए रखने में योगदान देती हैं ।



 रेडकलिफ़ ब्राउन   केवल प्रकार्यवादी नहीं बल्कि एक संरचनात्मक प्रकार्यवादी था। इससे हमारा  अभिप्राय है कि   उसका अध्ययन केवल यहीं तक   सीमित नहीं था  कि रीति-रिवाज और सामाजिक  संस्थाएं समाज के आशिस्तव को बनाय रखने की    आवश्यकताएँ किस तरह परिपूर्ण करती  है। विभिन्न    सामाजिक संबंधों के बीच क्या संबंध है इसमें भी इसकी अभिरुचि थी।


अंडमान द्वीप समूह में आनुष्ठानिक विलाप : अण्डमान के रीति-रिवाजों में सामाजिक     विलाप भी शामिल हैं । मित्रों अथवा संबंधियों के लंबे समय के उपरांत मृत्यु , विवाह ,    नामकरण संस्कार, शांति स्थापना अनुष्ठान जैसे अनेक अवसरों में अण्डमानवासी   सामूहिक   रूप से रोते हैं।


रेडक्लिफ ब्राउन की मान्यता है कि इन सभी समारोहों का उद्देश्य उस भावना की अभिव्यक्ति है, जिससे समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप व्यक्त्ति के आचरण को मर्यादित करने में  मदद मिलती है। इसलिए रेडक्लिफ ब्राउन ने इस प्रथा का अर्थ खोजने के महत्व पर बल दिया । 



रेडक्लिफ ब्राउन ने बताया कि आनुष्ठानिक विलाप उन स्थितियों में किया जाता हैं । 



    जिनमें टूटे हुए अथवा बिगड़े हुए सामाजिक संबंध फिर से जोड़े जाते हैं। उदाहरणतः  जब लंबे समय से बिछड़े दोस्त मिलते हैं तो आनुष्ठानिक विलाप इसलिए किया  जाता है कि     


जुदाई समाप्त हो गई है और फिर से संपर्क कायम हो जाएँगे। इसी प्रकार, मौत के   समय  मृतक की अंतिम विदाई पर आनुष्ठानिक विलाप किया जाता है क्योंकि उसके बाद जीवन की  गाड़ी पहले की तरह चलने लगेगी और सामान्य संबंध तथा गतिविधियाँ पुनः चालू हो जाएगी । 


टोटमवाद का अध्ययन: दुर्खाइम की मान्यता है कि टोटमवाद एक जीवनशैली हैं ।  जिसमें प्रतीकवाद के माध्यम से सामूहिक भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ उसका आनु क्षतिकर्ण होता है। यह प्रतीकवाद समूह की एकता को बनाए रखने में सहायक होता है।


ऑस्ट्रेलिया में अपने सर्वेक्षण कार्य के दौरान उसे ज्ञात हुआ कि न्यू साउथ वेल्स की कुछ  जनजातियाँ बहिर्जातीय विवाह (exogamous) करने वाली दो मोइटी (moieties) में बनती हुई   हैं।



 इनके नाम दो पक्षियों के नाम पर रखे गए हैं। ये हैं बाज तथा कौआ। बाज मोइटी के पुरुष कौआ माइटी की औरतों से तथा कौआ मोइटी के पुरुष बाज मोइटी की औरतों से विवाह   करते  हैं। इसी प्रकार का दो हिस्सों में विभाजन ऑस्ट्रेलिया में अन्यत्र भी देखने में आया है।

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