जानियें क्यों बढ़ता है पेनक्रिएटिक कैंसर का खतरा, क्या हैं इसके लक्षण।

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जानियें क्यों बढ़ता है पेनक्रिएटिक कैंसर का खतरा, क्या हैं इसके लक्षण।

 



इस बीमारी  को रोकने के लिए और लोगों तक पैंक्रिएटिक कैंसर से जुड़ी जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 16 नवंबर के दिन वर्ल्ड पैंक्रिएटिक कैंसर दिवस मनाया जाता है।


पैंक्रिया शरीर का एक बहुत जरूरी और मुख्य हिस्सा होता है जिसके कई फंक्शन होते हैं जैसे शुगर को कंट्रोल करना और खाना पचाने में मदद करना आदि। पैंक्रिएटिक कैंसर के केस हर साल अधिक बढ़ते जा रहे हैं जोकि एक चिंता का विषय है।


 

कुछ लोग इसके लक्षणों को पहचानने में असमर्थ हो जाते हैं जिसके कारण उन्हें पता नहीं लग पाता है की यह कैंसर है या आम लक्षण। इस वजह से इलाज शुरू होने में देरी हो जाती है और कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैल जाती है जिस वजह से व्यक्ति का बचना काफी मुश्किल हो जाता है।

 

डॉ. विशाल खुराना, डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मेट्रो हॉस्पिटल, फरीदाबाद, के अनुसार, इसका रिस्क वजन बढ़ने के साथ साथ बढ़ता जाता है इसलिए वजन कंट्रोल करना भी इस बीमारी के खतरे से बचने का पहला कदम हो सकता है। आइए जान लेते हैं पैंक्रिएटिक कैंसर दिवस के बारे में।



विश्व पैंक्रिएटिक कैंसर दिवस का महत्व

कैंसर से होने वाली मृत्युओं के मामले में यह कैंसर 7वीं सबसे आम है। हर साल बहुत सारे लोग इस कैंसर के द्वारा अपनी जान गंवा बैठते हैं जिस कारण इससे जुड़ी जागरूकता फैलानी जरूरी है।


 

इस कैंसर के लक्षण आखिरी स्टेज में ही देखने को मिलते हैं जिस वजह से मरीज के बचने के चांस कम हो जाते हैं और यह कैंसर एडवांस्ड स्टेज में आने तक व्यक्ति के दूसरे हिस्सों में भी फैल चुकी होती है। इसी वजह से यह दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों तक इसके लक्षणों के बारे में जानकारी पहुंचाई जा सके और वह सही समय पर एक्शन ले सकें।


जानें क्या है पैंक्रिएटिक कैंसर?

पैंक्रिएटिक कैंसर कैंसर का एक मुख्य प्रकार है और यह 7वीं सबसे आम प्रकार की कैंसर है। आपकी पैंक्रियाज आपके पेट के निचले हिस्से में मौजूद एक अंग होता है।


 यह अंग पाचन के लिए जरूरी होता है और पाचन के लिए जरूरी हार्मोन को रिलीज करता है। जब इसमें कैंसर सेल्स की ग्रोथ होने लगती है तो इसे पैंक्रिएटिक कैंसर कहा जाता है। इसमें सेल्स की ग्रोथ पर नियंत्रण नहीं रहता है।



पैंक्रिएटिक कैंसर से बचने के लिए कुछ टिप्स

जो लोग स्मोकिंग करते हैं, जिनके जीन्स में यह कैंसर है या जिनकी उम्र बढ़ती जाती है, उनको इस कैंसर का रिस्क अधिक हो जाता है। हालांकि तकनीकी इतनी आगे जा चुकी है की इस कैंसर से आप अपना बचाव कर सकते हैं और इसका इलाज भी संभव है। 



इसके रिस्क को कम करने के लिए आपको अपना वजन मेंटेन करके रखना चाहिए क्योंकि ज्यादा मोटे लोगों में इस कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। तंबाखू और धूम्रपान का सेवन करना बंद कर देना चाहिए। शराब का सेवन भी काफी सीमित मात्रा में करना चाहिए।



क्या अधिक मोटापा भी इस के रिस्क को बढ़ाता है?

जी हां, अगर हम पैंक्रिएटिक कैंसर के रिस्क फैक्टर की बात करें तो मोटापा भी इसमें शामिल है इसलिए आपको हमेशा कोशिश करनी चाहिए की आप सेहत से फिट रहें और अपने आप को अच्छी शेप में रखें।


 अगर आप वजन कम करते हैं तो आपका बाहर का खाना पीना भी अपने आप ही बंद हो जाता है जिस वजह से डाइट भी अच्छी हो जाती है। आपको प्रोसेस्ड फूड का सेवन भी कम से कम करना चाहिए।



जान लें पैंक्रिएटिक कैंसर के लक्षणों के बारे में

इसके मुख्य लक्षणों में पीलिया, खुजली होना, ज्यादा पीला पेशाब आना, बिना कारण ही एकदम से वजन घटने लगता और भूख न लगना, पाचन ढंग से न हो पाना और पाचन से जुड़े लक्षण दिखना जैसे उल्टी आना, मितली आना, अपाचन होना, पेट में सूजन हो जाना आदि।

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