दिल्ली का वायु प्रदूषण अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुका है। अजरबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित COP29 शिखर सम्मेलन में दिल्ली के प्रदूषण पर विशेष चर्चा हुई। इस दौरान विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को लेकर चिंता जताई।
दिल्ली का AQI और गंभीर हालात
दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 494 तक पहुंच गया है, जो "गंभीर" श्रेणी में आता है। कुछ क्षेत्रों में यह 1000 ug/m³ तक दर्ज किया गया, जो बेहद खतरनाक है। विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने, ब्लैक कार्बन, जीवाश्म ईंधन के जलने और ओजोन जैसे प्रदूषकों का सम्मिलित प्रभाव इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
ला नीना और प्रदूषण
ला नीना के प्रभाव के कारण हवा की गति धीमी हो रही है, जिससे प्रदूषक तत्व वातावरण में फंसे रहते हैं। यह स्थिति ठंड के मौसम में और खराब हो जाती है, जिससे दिल्ली-एनसीआर "गैस चैंबर" बन गया है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
विशेषज्ञों ने चेताया कि दिल्ली के प्रदूषण से लाखों लोगों की जान और स्वास्थ्य खतरे में है। बच्चे और बुजुर्ग इससे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, शहरी इलाकों में बच्चों के फेफड़े ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की तुलना में 40% कमजोर हो जाते हैं।
वैश्विक प्रभाव और फजीहत
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में वायु प्रदूषण से 8.1 मिलियन मौतें हुईं, जिनमें से 2.1 मिलियन भारत में दर्ज की गईं। यह स्थिति भारत के स्वास्थ्य ढांचे और नीतियों पर सवाल खड़े कर रही है।
COP29 की सिफारिशें
- बहु-आयामी समाधान: विशेषज्ञों ने सभी प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए समग्र और बहु-विषयक समाधान अपनाने पर जोर दिया।
- स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी: कॉर्पोरेट सब्सिडी की आलोचना करते हुए, स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक निवेश की मांग की गई।
- वैश्विक सहयोग: वायु प्रदूषण को सीमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया।
दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ स्थानीय समस्या नहीं रह गई है, यह ग्लोबल एजेंडा पर आ चुकी है। समाधान के लिए सरकारी, कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत स्तर पर त्वरित और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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