सफलता की कहानी, success Story राजस्थान के अनूपगढ़ के सगे भाई-बहन का आरजेएस में चयन हो गया. रायसिंहनगर क्षेत्र के गांव 10 पीएस के रहने वाले हैं. लवली चंदानी ने 7वीं रैंक और भाई अरुण कुमार चंदानी ने 103वीं रैंक प्राप्त की. इनकी माता मोनिका और पिता घनश्याम चंदानी की सफलता पर नाज है. भाई-बहनों का कहना है कि माता-पिता और ताया की प्रेरणा से उन्होंने यह सफलता प्राप्त की है.
*भाई-बहन ने ताया को सफलता का दिया श्रेय:*
अरुण और लवली ने कहा कि यदि संकल्प के साथ लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. दोनों की इस सफलता में उनके ताया न्याय विभाग से रिटायर्ड बृजलाल चंदानी का काफी योगदान है. इन दोनों के चचेरे भाई राजकुमार चंदानी भी न्याय विभाग में रीडर के पद पर हैं. इस तरह से चंदानी परिवार के चार सदस्यों का न्यायिक सेवा से जुड़ाव हो गया है.
*दोनों भाई-बहन को दूसरे प्रयास में मिली सफलता:*
दोनों भाई-बहन को दूसरे प्रयास में सफलता मिली. लवली और अरुण चंदानी के पिता शराब के ठेकेदार हैं. मां गृहिणी हैं. पिता घनश्याम दास चंदानी ने बताया कि उनकी पत्नी मोहिनी देवी गृहिणी हैं. उनके दो बच्चे हैं. दोनों पढ़ाई में शुरू से अव्वल रहे. उन्होंने बताया कि लवली और अरुण जयपुर में ही रहते थे.
*भरतपुर जिले में दो सगे भाई बने जज:*
भरतपुर जिले से करीब सात लोगों का चयन हुआ है, जिसमें चार लड़की और तीन लड़के शामिल हैं. तीन लड़कों में दो सगे भाई लितेंद्र सिंह कांटया और सिद्धार्थ सिंह कांटया हैं जिन्होंने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है. बड़ा भाई लितेंद्र सिंह कांटया ने 173वीं रैंक तो छोटे बेटे सिद्धार्थ सिंह कांटया ने 177वीं रैंक हासिल की है. इनके पिता का कहना है कि उनका सपना सच हो गया.
दोनों भाइयों ने पिता के सपने को किया साकार
दोनों भाई नगला बंध गांव के रहने वाले हैं. इनके पिता जीत सिंह ने जुडिशियल में अधिकारी बनने का सपना देखा था. लेकिन, वह सफल नहीं हो पाए. उन्होंने दोनों बेटों को जुडिशियल अधिकारी बनाने का सपना देखा था. अब दोनों बेटे एक साथ RJS परीक्षा पास की. लितेंद्र सिंह कांटया और सिद्धार्थ सिंह कांटया ने कहा कि उन्होंने परिजन को दीपावली से पहले तोहफा दिया.
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