रोग के कारण (Causes of Disease)- अतिसार बहुत से विभिन्न कारणों से हो सकता है। हल्का अतिसार तो कई बार भारी या आवश्यकता से अधिक मात्रा में भोजन खाने से, किसी विशेष प्रकार के भोजन से एलर्जी होने से या अधिक मिरच मसालें वाला भोजन ग्रहण करने से हो जाता है। लेकिन तीक्ष्ण अतिसार के कुछ गम्भीर कारण होते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं-
(1) अधिक कमजोरी तथा कुपोषण-यदि शिशु कुपोषण का शिकार है तथा इस कारण शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो चुका है तो उसका पाचन तंत्र भोजन को ठीक प्रकार पचा नहीं सकता।ऐसा शिशु सामान्यत अतिसार से प्रभावित रहता है।
(2) विषाक्तता (Food Poisoning)-जल के माध्यम से कुछ रासायनिक पदार्थों जैसे पारा , जास्त या संखियाँ का शरीर में प्रवेश या किन्हीं विशेष प्रकार की औषधियों के ज़हरीले प्रभाव, शरीर में अतिसार उत्पन करते हैं ।
(3) पेट में कीड़े होना-यदि पेट में कीड़े (Worms) हों तो यह भी अतिसार का कारण बन सकता हैं ।
(4) विषाणु व बैक्टीरिया-अतिसार का मुख्य कारण किसी प्रकार का संक्रमण हैं । यदि शिशु के पाचन संस्थान में किसी प्रकार के जीवाणु या विषाणु प्रवेश कर जाते हैं तो वह अतिसार का कारंण बनते हैं। शिशु का संक्रमण निम्न तरह से हो सकता है-
* संदूषित जल या भोजन ग्रहण करने से।
* अस्वच्छ परिस्थितियों में रहने से जैसे हाथ गन्दे रखने से।
गन्दे खिलौने या चूसनी (Soothers) आदि मुँह में डालने से।
बिना ढके हुये भोजन, जो मक्खियों तथा धूल मिट्टी द्वारा गन्दा हो चुका हो , को ग्रहण करने से।
अस्वच्छ बोतल या निप्पल द्वारा दूध पीने से।
* बोतल में बचा हुआ खराब हो चुका दूध पीने से।
(5) शरीर में ऐन्ज़ाइम्ज़ का असंतुलित मात्रा में होना – यदि शरीर में एन्जाइम उचित मात्रा में नहीं बन रहे तो शिशु को भोजन ठीक से पचता नहीं तथा अतिसार की सिथती बनी रहती हैं ।
अतिसार के लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- रोग के लक्षण-अतिसार प्रायः दो प्रकार का हो सकता है-
(क) तीक्ष्ण अतिसार (Acute Diarrhoea)
(ख) चिरकारी अतिसार (Chronic Diarrhoea)
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