ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें अर्थराइटिस का समस्या का सामना करना पड़ता है. आर्थराइटिस यानी गठिया के मरीजों को घुटनों, एड़ियों, पीठ, कलाई या गर्दन के गर्दन के जोड़ों में दर्द होता है.
डाइट में बदलाव करने से अर्थराइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है. अर्थराइटिस के मरीजों को ऐसेचीजों का सेवन करना चाहिए जिसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती है.
कुछ सुपरफूड विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं क्योंकि उनमें ऐसे यौगिक होते हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं, जोड़ों के टिशू की रक्षा कर सकते हैं और बोन हेल्थ में सुधार कर सकते हैं. अपनी डाइट में नियमित रूप से इन सुपरफूड को शामिल करके, आप गठिया के खतरे को कम कर सकते हैं.
हल्दी- हल्दी भारतीय व्यंजनों में आमतौर पर
इस्तेमाल किया जाने वाला एक मसाला है, और इसमें कर्क्यूमिन नाम का एक
शक्तिशाली यौगिक होता है, जो अपने एंटी इंफ्लेमेटरी और
एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है. कर्क्यूमिन शरीर में सूजन को कम करने के
लिए जाना जाता है, जिससे
गठिया के लक्षणों, जैसे
दर्द जोड़ों की अकड़न को कम करने में मदद मिलती है।
ऑलिव ऑयल- ऑलिव ऑयल, खास
तौर पर एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल, ओलियोकैंथल से भरपूर होता है.
ओलियोकैंथल सूजन पैदा करने वाले एंजाइम के उत्पादन को रोकता है और जोड़ों में दर्द
और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है.
नट्स- सूजन और गठिया के खतरे को कम करने के लिए नट्स फायदेमंद होते हैं. अखरोट, विशेष रूप से, अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) से भरपूर होते हैं, जो ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक प्रकार है जो शरीर में सूजन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है.
नट्स मैग्नीशियम, सेलेनियम और विटामिन ई का भी एक अच्छा स्रोत
हैं, जो
अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं. नियमित रूप
से सीमित मात्रा में नट्स खाने से बोन हेल्थ में सुधार होता है और और सूजन कम होती
है.
फैटी फिश- सैल्मन, मैकेरल, सार्डिन और ट्राउट जैसी फैटी फिश ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती हैं, जिनमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. फैटी फिश का नियमित सेवन करने से भी लाभ होता हैं ।
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