फसल बुवाई के लिए कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
किसान कल्याण के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही हैं। कम पानी में अधिक पैदावार वाली फसलों को लेकर भी किसानों को जागरुक किया जा रहा है। कृषि विभाग हनुमानगढ़ ने सोमवार को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें सही किस्म की फसल का चुनाव करने के लिए सलाह दी गई है।
कृषि विस्तार संयुक्त निदेशक योगेश कुमार वर्मा ने बताया कि विभागीय कार्य योजना में किसानों को कम पानी चाहने वाली फसलों (सरसों, चना एवं जौ) की अधिक बुवाई कराने के लक्ष्य रखे गए हैं। उन्होंने बताया कि सामान्यत जिले में गेंहू और सरसों में 2.50-2.50 लाख हैक्टेयर में बुवाई होती है। गेंहूं में 6 पानी और सरसों में 3 बार पानी की आवश्यकता होती है, जबकि चने और जौ में 2-2 बार पानी से फसल पकाई जा सकती है।
कृषि न्यूज गेंहूं, जौ और सरसों पानी की कम आवश्यकता वाली किस्में
संयुक्त निदेशक ने बताया कि चने में असिंचिंत क्षेत्र के लिए आरएसजी-888, जीएनजी-2461, सीएसजे-515 तथा जौ में आरडी-2052, आरडी-2035, डीडब्लयूआरयूबी-64 एवं डीडब्लयूआरयूबी-52 प्रमुख किस्में हैं। सरसों में आरएच-0761, आरजीएन-298, आरजीएन-229, आरजीएन-48 प्रमुख किस्में है। गेंहू में डब्ल्यूएच-1142 तथा राज-3077 मुख्य किस्में हैं। इनमें अन्य की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
गेंहूं, जौ और सरसों की बुवाई
वर्मा ने बताया कि गेंहू में प्रथम सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद जड़ जमाव पर, दूसरी सिंचाई प्रथम सिंचाई के 25-30 दिन बाद फुटान, तीसरी सिंचाई दूसरी सिंचाई के 25-30 दिन बाद गांठ बनने पर, चतुर्थ तीसरी सिंचाई के 15-20 दिन बाद बाली आने पर, पांचवीं चतुर्थ सिंचाई के 15-20 दिन बाद दूधिया अवस्था तथा अंतिम सिंचाई पांचवीं सिंचाई के 15-20 दिन बाद दाने के पकाव की स्थिति पर करनी चाहिए।
जौ में प्रथम सिंचाई बुवाई के 25-35 दिन बाद, फूल आने तथा दाने की दूधिया अवस्था में दूसरी सिंचाई की जा सकती है। चने में प्रथम सिंचाई 50-55 दिन बाद तथा दूसरी सिंचाई बुवाई के 100 दिन बाद की जानी चाहिए। यदि किसी कारणवश एक ही सिंचाई उपलब्ध होती है तो बुवाई के 60-65 दिन बाद सिंचाई करनी चाहिए।
सरसों में प्रथम सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद तथा दूसरी सिंचाई 90-100 दिन बाद करके फसल पकाई जा सकती है। श्री वर्मा ने बताया कि जिन किसानों के पास स्वयं के सिंचाई के स्त्रोत नहीं है उन्हें सलाह दी जाती है कि प्रारंभ से ही सही किस्म का चुनाव करें।
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