एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए
एनएमसी ने बड़ा जरूरी निर्देश दिया है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने कहा है कि मेडिकल
स्टूडेंट्स को अब फर्स्ट ईयर से ही एक फैमिली को अडॉप्ट करना होगा और उनके
स्वास्थ्य की देखभाल करनी होगी। एक सर्वे के बाद ये फैसला लिया गया है।
नैशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने 2023-24 से सभी एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए फैमिली अडॉप्शन प्रोग्राम लागू कर दिया है।
हर
छात्र को अपनी पढ़ाई की अवधि के दौरान कोई न कोई फैमिली अडॉप्ट करनी होगी और उनके
स्वास्थ्य की देखभाल करनी होगी। 11 जून से 7 अगस्त 2024
के
बीच देश के 28 राज्यों के अलग-अलग जिलों और कस्बों में हेल्थ
कैंप आयोजित किए गए, जिसमें देश के 496 मेडिकल कॉलेजों
के 85% एमबीबीएस छात्रों ने भाग लिया।
जांच के आधार पर एनएमसी ने पहली सर्वे रिपोर्ट 2024
जारी
की है। जिसमें सामने आया है कि बड़ी संख्या में लोगों को बीपी, शुगर,
खून
की कमी जैसी बीमारियों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी।
छात्रों और मरीजों दोनों का फायदा
NMC की अंडरग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की
प्रेज़िडेंट डॉ. अरुणा वी. वानिकर की देखरेख में यह सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई थी।
उनका कहना है कि छात्रों को क्लासरूम टीचिंग के साथ-साथ पढ़ाई के पहले वर्ष से ही
लोगों की स्वास्थ्य जांच करने का मौका दिया गया है। हेल्थ कैंप के जरिए छात्रों को
ज्यादा बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है।
उनका कहना है कि एमबीबीएस में एडमिशन लेने वाले
हर छात्र को पहले साल की पढ़ाई से ही परिवारों की देखभाल शुरू करनी होगी।
कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम के तहत कितने परिवारों की मदद की गई है, इसको
भी देखा जाएगा। इसके अलावा कॉलेज ने ग्रामीण इलाकों में मेडिकल कैंप, स्वास्थ्य
जांच कैंप आयोजित किए गए हैं।
कैसा है देश का स्वास्थ्य?
जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि 40,829 बच्चों में से 31% एनीमिक मिले हैं। इसके अलावा 38% महिलाओं में यह समस्या मिली है। 39% गर्भवती महिलाओं और 19% पुरुषों में एनीमिया की शिकायत मिली।
एनीमिया में रेड ब्लड सेल की संख्या में या
हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी हो जाती है। रेड ब्लड सेल में हीमोग्लोबिन होता है।
यह ऐसा प्रोटीन है जो उन्हें फेफड़ों से ऑक्सीजन ले जाने और शरीर के सभी भागों में
पहुंचाने में सक्षम बनाता है।
2,73,656 परिवारों के 12,09,338 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई। 1300 से ज्यादा हेल्थ कैंपस आयोजित किए गए। 17% में बीपी, 14% में शुगर की समस्या मिली।
कैंप के दौरान कुल 2.58 लाख लोगों को फायदा हुआ और 1.99 लाख को डोर स्टेप हेल्थ केयर की सुविधा मिली। 4,61,831 के बीपी की जांच की गई, जिसमें से 17% को बीपी की शिकायत मिली। 3,66,096 की ब्लड शुगर की जाच हुई, जिसमें से 14% में शिकायत मिली।
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