हर दिन करें माता तुलसी की आरती, बनी रहेगी श्री हरि की कृपा।

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हर दिन करें माता तुलसी की आरती, बनी रहेगी श्री हरि की कृपा।





 तुलसी जी को भगवती लक्ष्मी जी का अवतार कहा जाता है. भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होने के कारण इन्हें भक्ति प्रदायिनी भी माना गया है. तुलसी जी के नजदीक बैठकर हर दिन उनकी आरती का पाठ करना चाहिए.



तुलसी जी को भगवती लक्ष्मी जी का अवतार कहा जाता है. भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होने के कारण इन्हें भक्ति प्रदायिनी भी माना गया है. 



मान्यता है कि कि वृन्दावन धाम का नाम वृन्दावन पड़ा क्योंकि वहां वृंदा अर्थात तुलसी के अनेकों वन हैं इसलिए कृष्ण की भक्ति प्रदान करने वाली देवी को सनातन धर्म में बहुत महत्व दिया गया है.


 तुलसी जी के नजदीक बैठकर तुलसी माला से 108 बार तुलसी गायत्री मन्त्र का पूरी श्रद्धा करना चाहिए, साथ ही तुलसी माता की आरती का भी पाठ करना चाहिए.



जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

मैय्या जय तुलसी माता।।

 

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।

रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

 

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

 

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।

मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

 

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।

प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।

हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

 

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥

मैय्या जय तुलसी माता।।

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