विटामिन 'डी' के कायों का वर्णन कीजिए। विटामिन 'डी' के स्रोत बताएं ।

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विटामिन 'डी' के कायों का वर्णन कीजिए। विटामिन 'डी' के स्रोत बताएं ।

 


हमारे शरीर में विटामिन 'डी' की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है तथा यह रिकेट्स विरोधी तत्व  के रूप में जाना जाता है। यह निम्नलिखित कार्य करता है-

 

1. कैल्जियम फासफेट के अवशोषण में सहायता यह छोटी आन्त में रक्त द्वारा भोजन में से उपलब्ध कैल्शियम के लवणों को अवशोषित करने में सहायता करता है।

 

2. हड्डियों तथा दांतों  को मजबूत बनाना हड्डियों व दाँतों के अन्दर विटामिन 'डी' की उपस्थिति में ही कैल्शियम फास्फेट जमा हो सकता है। इस प्रक्रिया से हड्डियों धीरे-धीरे मजबूत होती जाती हैं तथा आयु वृद्धि के साथ बढ़ने वाले शारीरिक भार को झेलने और शरीर को सामान्य रूप से सहारा देने में सक्षम रहती हैं।

 

 

 

 

 

3. एनाज़ाईम क्षारीय फॉसफोटज़ का नियन्त्रण-Alkaline Phosphatase नामक एनजाईम रक्त में पाई जाने

 

 

 

वाली वह एनज़ाईम है जो हड्डियों व दाँतों में जमा होने वाले कैल्शियम फॉस्फेट की मात्रा को नियंत्रण करती हैं ।

 

रक्त में इस एनज़ाईम को उचित मात्रा में बनाए रखने के लिए विटामिन 'डी की सहायता करता हैं ।

 

4. शारीरिक वृद्धि में सहायता-जिन शिशुओं को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता है उनकी शारीरिक लंबाई दूसरों की अपेक्षा अधिक उचित होती हैं ।

भोज्य पदार्थों  में विटामिन 'डी' अधिक नहीं पाया जाता। केवल कुछ जन्तुजन्य पदार्थ जैसे पूर्ण दूध ,अंडे की जरदी ,मछली  के जिगर (Cod liver oil) तथा मक्खन इसके अच्छे साधन हैं।


 यही कारण है कि इस विटामिन के लिए हम मुख्य रूप से सूर्य की किरणों पर निर्भर करते हैं। जैसा कि हम जानते हैं विटामिन 'डी' का पूर्वगामी 7-Dehydro chole sted हमारी त्वचा   में काफी मात्रा में उपलब्ध होता है।



 सूर्य की रोशनी में उपस्थित अल्ट्रा वॉयलेट किरणों के प्रभाव से यह विटामिन डी अथार्थ  कैल्सीफिरॉल में बदल जाता है। ऐसे स्थानों पर जहाँ कि काफी धूप पड़ती है लोगों की इस विटामिन  की आवश्यकताएं  मुख्यतः इसी स्रोत से पूरी हो जाती हैं जबकि ठंडे देशों में दूध तथा खाना पकाने के तेलों को इससे फॉर्टीफाई(fortify ) करना जरूरी होता हैं ।

 

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