भूमिका, ऐतिहासिक आधार,
दीपावली
पर्व की तैयारी, मनाने की विधि, कुप्रथा , उपसंहार ।
भारत त्योहारों का देश है। प्रत्येक ऋतु में किसी-न-किसी त्योहार को मनाया जाता है। भारत में फसलों के पकने पर भी त्योहार मनाए जाते हैं। महापुरुषों के जन्मदिन को भी त्योहारों की भान्ति बड़े उत्साह से मनाया जाता है ।
भारत के मुख्य त्योहारों-रक्षा बन्धन, दशहरा, दीपावली और होली आदि में दीपावली सर्वाधिक प्रसिद्ध त्योहार है। इसे बड़े जोश एवं उत्साह से मनाया जाता है। दीपावली का अर्थ है- 'दीपों की पंक्ति'। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। अमावस्या की रात विल्कुल अन्धेरी होती है किंतु भारतीय घर-घर में दीप जलाकर उसे पूर्णिमा से भी अधिक उजियाली बना देते हैं। इस त्योहार का बड़ा महत्त्व है।
इस त्योहार का ऐतिहासिक आधार अति महत्त्वपूर्ण एवं धार्मिक है। इस दिन भगवान् राम लंका-विजय करके अपना वनवास समाप्त करके लक्ष्मण और सीता सहित जब अयोध्या आए तो नगरवासियों ने अति हर्षित होकर उनके स्वागत के लिए रात्री को नगर में दीपमाला करके अपने आनन्द और प्रसन्नता को प्रकट किया।
दीपावली का त्योहार
आर्यसमाजी , जैनी और सिख लोग भी
विभिन्न रूपों में बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसी दिन आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी
दयानन्द सरस्वती ने महासमधी ली थी और इसी
दिन जैन धर्म के तीर्थकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसी प्रकार
सिक्ख अपने छठे गुरु की याद में इस त्योहार
को मनाते हैं जिन्होंने इसी
दिन बन्दी गृह से मुक्ति प्राप्त की थी।
इस पर्व की तैयारी घरों की सफाई से आरम्भ होती
है जो कि लोग एक-आध मास पूर्व आरम्भ कर देते
हैं । लोग शरद ऋतु के
आरम्भ में घरों की लिपाई-पुताई करवाते हैं और कमरों को चित्रों से अलंकृत करते
हैं। इससे मक्खी, मच्छर दूर हो जाते हैं । इससे
कुछ दिन पूर्व अहोई माता का
पूजन किया जाता है। घन त्रयोदशी के दिन लोग पुराने बर्तन बेचते हैं और नए खरीदते हैं। चतुर्दसी को लोग घरों का कूड़ा-करकट बाहर निकालते हैं। लोग
कार्तिक माप्त की अमावस्या को दीपमाला करते
हैं।
इस दिन कई लोग अपने इष्ट सम्बन्धियों में मिठाइयों बाँटते हैं। बच्चे नए-नए वस्त्र पहनकर बाजार जाते हैं । रात को पटाखे तथा आतिशबाजी चलाते हैं। बहुत से लोग रात को लक्ष्मी पूजा करते हैं। कई लोगों का विचार है कि इस रात लकमी पूजा करने से उनकी कृपया सदेव बनी रहती है। इसलिए प्रायः लोग अपने पर के द्वार उस रात बन्द नहीं करते ताकि लक्ष्मी लोट न जाए । व्यवपारी लोग वर्षभर
के खातों की पड़ताल करते हैं और नई वहियों लगाते हैं। दीपावली के दिन जाहीं लोग शुभ कार्य एवं पूजन करते हैं वहाँ कुछ लोग जुआ भी खेलते हैं।
जुआ खेलने वाले लोगों का विश्वास है कि यदि इस दिन जुए में जीत गए तो फिर वर्ष भर जीतते रहेंगे तथा लक्ष्मी की उन पर कृपया बनी रहेगी । कहीं –कहीं पटाखों को लापरवाही से बजाते समय बच्चों के हाथ-पाँव भी जल जाते हैं और कहीं-कहीं पटाखों के कारण आग भी लग जाती है। अतः इस पावन पर्व को हमें सदा सावधानी से मनाना चाहिए।
दीपावली का त्योहार मानव जाति के लिए शुभ काम करने की प्रेरणा देने वाला है। जैसे दीपक जल कर अंधकार को समाप्त करके प्रकाश फैला देता है, वैसे ही दीपावली भी अज्ञानता के अन्धकार को हटाकर ज्ञान का प्रकाश हमारे मन में भर देती हैं । देश और जाति को समृद्धि का प्रतीक यह त्योहार अत्यन्त पावन और मनोरम है।
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