मियादी बुखार या मोतीझारा के कारण, लक्षण तथा उपचार पर संक्षिप्त पर लिखे।

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मियादी बुखार या मोतीझारा के कारण, लक्षण तथा उपचार पर संक्षिप्त पर लिखे।

  




टायफाइड को मियादी बुखार या मोती झारा या आंत ज्वर भी कहते हैं। यह रोग पंद्रह-पच्चीस वर्ष के आयु वर्ग में अधिक पाया जाता हैं।  यह मल, जल, वायु तथा मक्खियों आदि के द्वारा होता है। यह रोग विश्व व्यापक है और अधिकतर पतझड़ ऋतु में होता हैं।  


मेलों, भीड़ और गंदगी वाले स्थानों पर यह रोग शीघ्रता से फैलता है। यह रोग दूषित भोजन तथा दूषित जल से भी होता हैं ।

 

टायफायड होने का कारण (Causes of Typhoid): यह एक प्रकार के बैक्टीरिया से होता हैं , जिससे सलमोनेयमा   Salmonella) कहा जाता है।




 इस रोग के कीटाणु दूषित जल, दूषित भोजन तथा रोगी द्वारा प्रयोग की गई वस्तुओं के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुँच जाते हैं। दूषित फल तथा सब्जियां, जिन्हें कच्चा खाया जाता है, ससे भी यह रोग हो जाता हैं ।

 

उदभवन या सम्प्राप्ति काल (Incubation Period): इस रोग का उद्भवन काल दस से चौदह दिन तक होता हैं ।

लक्षण (Symptoms)-

1. व्यक्ति पर ज्वर का आक्रमण होता है, धीरे-धीरे यह बढ़ जाता है तथा प्रातः कम हो जाता है और शाम को अधिक हो जाता हैं ।

 

2 इसे आंत ज्वर भी कहते हैं, क्योंकि इसमें आंतों में बुखार होता है। कभी-कभी आतों से खून भी बहकर निकल  आता है।

 

3. रोगी का सिर भारी रहता है।

 

4. पेट खराब रहता है, गले पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं।

 

5. तीन सप्ताह तक लगातार बुखार आता रहता है।

 

 

 6. आंतें कमजोर हो जाती हैं।

 

7. तिल्ली में सूजन आती है तथा भूख मर जाती है।

 

8. कभी-कभी पेट पर भी दाने दिखाई देने लगते हैं।

 

9. चौबीस दिन के बाद बुखार सामान्य हो जाता है।

 

उपचार (Treatment):

 

1. रोगी को पूर्ण आराम देना चाहिए।

 

2. डाक्टर की सलाह से रोगी को भोजन तथा खुराक लेनी चाहिए।

 

3. जब बुखार अधिक हो तो बच्चे के सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए ।

 

4. पेट दर्द होने पर गर्म पानी की बोतल से सेंकना चाहिए।

 

5. रोगी को डाक्टर की सलाह से तरल भोजन देना चाहिए।

 

6. इस रोग के लिए आक्रोमाइसीज एक अच्छी दवा है।

 

7. स्वास्थ्य विभाग को तुरंत सूचित कर देना चाहिए।

 

बचने के उपाय (Preventive Measures):

 

1. पेयजल की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। क्लोरीनीकरण या उबाल कर पानी साफ करना चाहिए ।

 

2. शौचालय को स्वच्छ रोगाणु रहित रखना चाहिए।

 

3.मक्खियों की रोकथाम रखनी चाहिए।

 

4.दूध उबाल कर पीना चाहिए।


5. टायफाइड का टीका लगवाना चाहिए । 

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