केजरीवाल के कई निशाने... आधी आबादी को साधने की कोशिश, इस आरोप को धो डाला।

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केजरीवाल के कई निशाने... आधी आबादी को साधने की कोशिश, इस आरोप को धो डाला।

 



कई विधायकों की मांग के बावजूद पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री न बनाकर केजरीवाल ने परिवारवाद के आरोपों की धार कुंद की है जबकि केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान जब उनकी पत्नी लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनाव में फ्रंट पर थीं, तब विपक्ष इस तरह के आरोपों से आप को घेरने की कोशिश करता रहा है।




करीब एक दशक से सियासी पारी खेल रहे अरविंद केजरीवाल ने सधी रणनीति के तहत आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं।




 कई विधायकों की मांग के बावजूद पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री न बनाकर केजरीवाल ने परिवारवाद के आरोपों की धार कुंद की है जबकि केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान जब उनकी पत्नी लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनाव में फ्रंट पर थीं, तब विपक्ष इस तरह के आरोपों से आप को घेरने की कोशिश करता रहा है।

वहीं, महिला मुख्यमंत्री देकर केजरीवाल ने आधी आबादी को साधने की कोशिश की है। खासतौर से इसलिए भी कि दिल्ली की दो बड़ी जीतों में माना जाता है कि आप महिलाओं की पसंदीदा पार्टी है। आप ने इसका तोहफा देते हुए बसों में महिलाओं की यात्रा मुफ्त कर दी है।

आंदोलन के दिनों की साथी को अपना पद सौंपकर कार्यकर्ताओं को भी गहरा संदेश दिया है। इससे उन आरोपों को भी खारिज किया जा सकेगा, जिसमें आप को वन मैन आर्मीवाली पार्टी कहा जाता है। भाजपा के साथ इस तरह के आरोप आप के ऐसे कई संस्थापक सदस्य भी लगाते रहे हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ दी है।




 

केजरीवाल की छवि त्याग वाली उभरेगी

आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने से अरविंद केजरीवाल की छवि एक त्याग वाली बनकर उभरेगी। विपक्ष बराबर आरोप लगाता रहा है कि कुर्सी के मोह की वजह से भी जेल से ही वह सत्ता चला रहे थे। मुख्यमंत्री का पद वह छोड़ना नहीं चाह रहे थे। 




जेल से बाहर आते ही सधे हुए राजनीतिज्ञ की तरह उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि उन्हें कुर्सी का मोह नहीं है और न ही परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला। लिहाजा महिला कार्ड के साथ ही केजरीवाल ने एक तरह से सत्ता के लोभ से ऊपर उठकर आतिशी को कुर्सी सौंपने का निर्णय लिया।

 

एलजी के साथ अब महिला मुख्यमंत्री का होगा टकराव

उपराज्यपाल के निशाने पर आए केजरीवाल ने इस स्ट्रोक से उन्हें भी साधने की कोशिश की है। केजरीवाल के इस फैसले से अब सीधा महिला मुख्यमंत्री से टकराव होगा। ऐसे में वह यह साबित कर सकेंगे कि एलजी से टकराव न केवल केजरीवाल से है बल्कि उन्हें आम आदमी पार्टी से ही दुराव है। वह नहीं चाहते हैं कि आंदोलन से उभरी पार्टी दिल्ली की सत्ता में रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा काफी उठेगा।

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