क्षय रोग/टी.वी/तवेदिक रोग के बारे में उललेख करें।

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क्षय रोग/टी.वी/तवेदिक रोग के बारे में उललेख करें।

 



 

क्षय रोग एक दीर्घकालिक (chronic) संक्रामक रोग है जो दुनिया भर में मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक हैं । आम तौर  पर यह अधिक भीड़भाड़ वाले , तंग अंधेरी जगहों पर रहने वाले निम्नवर्ग के कुपोषित व्यक्तियों पर आक्रमण करता हैं ।



संक्रमण कारक  (Infectious Agent)- यह रोग Mycobacterium Tuberculosisè Tubere नामक बैक्टीरिया से होता ह है। यह वैक्टीरिया अधिकतर फेफड़ों की कोशिकाओं (Pulmonary tissue) को प्रभावित करता है  लेकिन फेफड़ों से भिन्न कोशिकाओं (Non-pulmonary tissue) जैसे ग्रन्थियों, हड़ियों व जोड़ों पर भी आक्रमण कर सकता  है।



ह काफी सुदृढ़  जीवाणु है तथा शुष्क अवस्या में लगभग छः महीने तक जिन्दा रह सकता है। तेज़ धूप इसे नष्ट करने में लगभग आठ घण्टे लेती है तथा उबालने की किया लगभग दस मिनट ।

 

रोग का प्रसार (Mode of Spread)-तपेदिक के जीवाणु बिन्दु संक्रमण (Droplet Infection)खाँसने , बोलने या छींकने से हवा में फैलते हैं। इसके अतिरिक्त रोगी के विसर्जन इधर-उधर गिर कर फर्श, दीवारो , बिस्तर आदि  को संक्रमित कर देते हैं।



 यहाँ ये कीटाणु मक्खियों द्वारा भोजन को दूषित करते हैं। बीमार दुधारू पशुओं का दूध भी टी०बी के   रोगाणुओं से संक्रमित होता हैं, विशेष रूप से गाय का। इस प्रकार संक्रमण दूषित हवा में सांस लेने से, दूषित भोज करने से तथा संदूषित वस्तुओं (fomites) के प्रयोग से स्वस्य व्यक्ति तक पहुँच सकता है।




 यद्यपि तपेदिक ग्रसत माता –पिता के  बच्चों में यह रोग-जन्म निहित नहीं होता फिर भी जन्म से कुछ समय बाद तक प्रत्यक्ष सम्पर्क रहने के कारण रोग हो जाने की संभावना काफी अधिक होती हैं ।

 

  बचाव तथा नियंत्रण (Prevention and Control)-संक्रमण पर नियंत्रण रखने के लिये तथा रोगी की देखभाल  के लिये निम्नलिखित उपाय करें-

 

1) स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित करें।

 

(2) रोगी को स्वस्थ व्यक्तियों से अलग कर दें। उसका कमरा साफ रखा जाए तया ऐसा हो जहाँ  धूप व रोशनी अधिक  आती हो।

 

(3) उसके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले चद्दर, तीलिये, बर्तन आदि अलग रखें ।

 

4) रोगी के विसर्जनों को जला दिया जाए।

 

 (5) लोगों में इस रोग की जानकारी फैलाई जाए। उन्हें निवास स्थानों की साफ-सफाई, खुली हवा तथा धूप का महत्व समझाया जाए।

 

(6) बच्चों को जन्म के उपरान्त पहले ही दिन या  कम से कम पहले माह के अन्दर अन्दर बी.सी.जी का टीका लगवाया जाए।

 

(7) रोगी को संतुलित व पौष्टिक आहार दें तथा docter  के परामर्श से उचित दवादारू करें।  

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