मंडे को ऑफिस जाने में इतना आलस और नींद क्यों आती है? जानिए इसके पीछे की वजह।

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मंडे को ऑफिस जाने में इतना आलस और नींद क्यों आती है? जानिए इसके पीछे की वजह।

 



मंडे की सुबह ऑफिस के लिए उठना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है. वीकेंड में आराम करने के बाद अचानक से सोमवार की सुबह उठकर काम पर लौटने की प्रक्रिया कई लोगों के लिए कठिन हो जाती है. इस आलस्य और नींद के पीछे कई कारण हो सकते हैं और आप इनसे निपट भी सकते हैं. आइए जानते है कैसे.


"Monday Blues" शब्द आपने जरूर सुना होगा और अगर आप एक ऑफिस कर्मचारी हैं, तो आप इस भावना से भी परिचित होंगे. वीकेंड के बाद सोमवार को काम पर लौटना कई लोगों के लिए तनावपूर्ण अनुभव बन जाता है. संडे की रात से ही अगले दिन ऑफिस जाने की चिंता सताने लगती है, जिसे "संडे नाइट सिंड्रोम" के नाम से जाना जाता है।



 इस स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि हमें हर दिन ऑफिस जाना होता है, फिर सोमवार को विशेष रूप से ऐसा आलस और तनाव क्यों महसूस होता है? आइए जानते है.



इसके पीछे की मुख्य वजहें क्या हैं और इस समस्या से कैसे निपटा जा सकता है.


क्या होते हैं मंडे ब्लूज?

 

काम या स्कूल की दिनचर्या में वापस लौटना कभी-कभी लोगों को उदास महसूस करा सकता है. वीक डेज की शुरुआत में नौकरी का तनाव अधिक अधिक महसूस होता है. 




वीकेंड पर लोग आराम करते हैं और अपने मन की चीजें करते हैं, उनपर कोई दवाब या कोई बाध्यता नहीं होती. इसके बाद सोमवार को दोबारा उसी अधिक महसूस होता है. वीकेंड पर लोग आराम करते हैं और अपने मन की चीजें करते हैं, उनपर कोई दवाब या कोई बाध्यता नहीं होती. इसके बाद सोमवार को दोबारा उसी दिनचर्या में लौटने में कठिनाई होती है.



सोमवार को अक्सर सप्ताह के लिए नई जिम्मेदारियां और कार्यभार मिलते हैं. इस वजह से व्यक्ति को पहले ही दिन पर अधिक दबाव और तनाव का सामना करना पड़ सकता सकता है. 




हफ्ते के पहले दिन ऑफिस में मीटिंग और पूरे हफ्ते का प्लान भी तैयार करना होता है और इस चीज की टेंशन संडे की रात से ही शुरू हो जाती है क्योंकि वीकेंड खत्म हो चुका होता है और अगले दिन फिर वही सुबह उठकर ऑफिस जाना होता है.



 कार्यस्थल पर नकारात्मक माहौल, असंतोषजनक स्थिति या व्यक्तिगत समस्याएं भी मंडे ब्लूज जैसी स्थिति पैदा करती हैं. यह उन लोगों के साथ ज्यादा होता है जो अपने मन का काम नहीं करते या फिर अपने काम को एंजॉय नहीं करते. 

मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार, मंडे ब्लूज उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिन्हें ऑफिस में पांच दिन काम करने के बाद दो दिन की छुट्टी मिलती है. विशेषज्ञ यह भी सुझाव देते हैं कि नौकरी के तनाव मंडे ब्लूज का कारण नहीं हो सकते हैं, लेकिन मंडे ब्लूज़ इस बात को प्रभावित करते हैं कि व्यक्ति तनाव के कैसे प्रतिक्रिया देता है. 



विशेषज्ञों का कहना है कि मंडे ब्लूज़ वाले लोग हफ्ते की शुरुआत में तनाव के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हैं. अपने शेड्यूल पर नियंत्रण की कमी उन्हें सप्ताह की शुरुआत में उदास महसूस करा सकती है. 

 

मंडे ब्लूज से कैसे निपटें?

 

फोर्बस के मुताबिक, मंडे ब्लूज से बचने के लिए पर नियंत्रण की कमी उन्हें सप्ताह की शुरुआत में उदास महसूस करा सकती है. 

 

अगर आपको ज़्यादातर हफ़्तों में मंडू ब्लूज की फीलिंग आती है, तो इसे आपको अनदेखा नहीं करना चाहिए. यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि आप काम पर नाखुश हैं और आपको इसे ठीक करने या आगे बढ़कर दूसरी नौकरी खोजने की ज़रूरत है.

 

फ्लेक्सजॉब्स की सीईओ और संस्थापक सारा सटन फेल ने कहा कि कर्मचारियों को चीजों की एक लिस्ट बनानी चाहिए जो उन्हें नौकरी में निराश कर रही हैं. अगर आपको जड़ पता होगी तो आप उसे सुलझाने के लिए प्रयास कर सकते हैं.



 इसके साथ ही उन चीजों की की भी लिस्ट बनानी चाहिए जिससे आपको ऑफिस जाने का मन करता है. इसके बाद जिससे आपको खुशी मिल रही है उसपर ज्यादा ध्यान केंद्रित करें. 

सोमवार की सुबह की परेशानी निपटने के लिए, शुक्रवार दोपहर तक खुद को अधिक से अधिक तैयार कर लें. हफ्ते के आखिर में उन कामों का ध्यान केंद्रित जो आपको कम से कम पसंद हैं. इससे आप सोमवार को बिना किसी तनाव के शुरुआत कर सकेंगे.

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