Gogamedi mela 2024: हरियाणा की सीमा से सटे राजस्थान के गोगामेड़ी पशु मेला में इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले ऊंटों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जो की पशु पालन विभाग के लिए शुभ संकेत है।
भारत के बड़े मेलों मे शुमार गोगामेड़ी पशु मेले में अन्य पशुओं की बजाय ऊंट ही आते है। मेले में हरियाणा, राजस्थान, यूपी, जम्मू कश्मीर से ऊंट व्यापारी व किसान अपने ऊंटों को लेकर आते है। एक माह तक चलने वाले मेले में इस बार अब तक कुल 3785 ऊंट आए है। इनमे से आब तक राजस्थान से 3077 तथा अन्य राज्यों हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर आदि से 708 ऊंट आए है। इनमे से अब तक 972 ऊंटों की बिक्री हुई है। जबकि पिछली बार साल 2023 में इसी अवधि मे 2644 ऊंट आए थे । जिससे पशुपालन विभाग राजस्थान को 10349 रुपए की आमदनी हुई है। इसमे सबसे ज्यादा कीमत का ऊंट 81000 रुपए में बिका है ओर सबसे कम कीमत का ऊंट मात्र 9000 रुपए में बिका है।
18 सितंबर 2024 तक चलेगा मेला
पशुपालन विभाग से मेला अधिकारी गोगामेड़ी कैम्प के व्यवस्थापक डॉ हरिश्चंद्र गुप्ता ने बताया की इस बार साल 2023 के मुकाबले ऊंटों की आवक ज्यादा है। पिछली बार इसी अवधि मे 2644 ऊंट आए थे लेकिन इस बार अब तक 3785 ऊंट पँहुच चुके है। ओर यह मेला 18 सितंबर 2024 तक चलेगा।
पंजाब, हरियाणा और यूपी से बिक्री के लिए ऊंट पहुंचे
उन्होंने बताया की राजस्थान सहित अन्य राज्यों पंजाब, हरियाणा और यूपी से
बिक्री के लिए ऊंट यहां पहुंचे है। उन्होंने बताया कि पशु मेले
में 81 हजार रूपये का एक ऊंट बिका है, जो अब तक सबसे महंगा है बिका। उन्होने बताया कि पशु मेले में
पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं के लिए पेयजल, छाया और नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा
उपलब्ध करवाई गई है। गोगामेड़ी
पशु मेले का शुभारम्भ राष्ट्रीय ध्वजारोहण के
साथ पशुपालन विभाग द्वारा किया जाता रहा है जबकि मेले का समापन्न देवस्थान विभाग
द्वारा किया जाता है।
11 ओर 12 सितंबर को होगी पशु प्रतियोगिता
गोगामेड़ी
मेले में पशु पालन विभाग द्वारा हर वर्ष पशु प्रतियोगिता करवाई जाती है इसी कड़ी मे
इस बार 11 ओर 12 सितंबर को पशु प्रतियोगिता करवाई जाएगी। जिसमे ऊंटों की दौड़, घुड़ दौड़,
भैंस की दूध प्रतियोगिता सहित कई प्रतियोगिता करवाई जाएगी। जिसमें अव्वल रहने वाले
पशु पालकों को सम्मानित किया जाएगा। - पशु मेला अधिकारी डॉ हरिश्चंद्र गुप्ता
साल 1958 से लग रहा पशु मेला, ऊंटों की संख्या होती है ज्यादा
किसान व व्यापारी जोरा सिंह, सुल्तान सिंह, महेंदर सिंह, मनफूल, हरी सिंह ने बताया की साल 1958 से लगने वाला यह मेला पशु मेले के नाम से ही जाना जाता है। लेकिन ऊंट ही ज्यादा आते है। गोगामेड़ी के पशु मेले में आस-पास के क्षेत्रों व देश के अन्य राज्यों से भी रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाला ऊंट बिक्री के लिए यहां आते है।
यहां पर अच्छी-अच्छी नस्ल के ऊंट-ऊंटनी देखने को
मिलते है। करीब 20 वर्ष पहले इस मेले में ऊंटों के अलावा बछड़े (बैल), घोड़े भी बिक्री के
लिए यहां आते थे। इस मेले में ऊंटों की बिक्री अच्छी-खासी हुआ करती थी।
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