सिरसा जिले के गांव जोड़कियां के 3 नामों से ग्रामीण परेशान, जाने कैसे पड़े तीन नाम

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सिरसा जिले के गांव जोड़कियां के 3 नामों से ग्रामीण परेशान, जाने कैसे पड़े तीन नाम

 



200 वर्ष बाद भी गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ साथ तीन नाम जोड़कियांजोडिय़ां व जोड़ावाली बने हुए ग्रामीणों की परेशानी का सबब  

गांव में न तो स्वास्थ्य केंद्र हैन ही डाकखानागांव में अधिकतर गलियां कच्चीबस सुविधा का अभाव सहित कई समस्याऐ है बनती है चुनावी मुद्दा



हिंदी न्यूज। हरियाणा के सिरसा जिले के ऐलनाबाद हल्के का गाँव जोड़कियाँ राजनीतिक सरगर्मियों के लिए हमेशा से ही गाँव के नामों को लेकर चर्चा में रहा है। हरियाणा में अब विधानसभा चुनाव में  मतदान में थोड़े दिन रह गये हैअब राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई है। ग्रामीण घरों के बाहर बने चबूतरों पर चुनावी चर्चा में मशगूल रहते हैं। गाँव में करीब 1200 मतदाता हैं।गांव की आबादी 2000 के करीब है, गांव का रक्बा 2500 बीघा है।

 


गाँव के चबूतरे पर चुनाव की चर्चा करते हुए ग्रामीण शंकर, देवीलाल, बलवान, रामचन्द्र ने बताया की वोट के लिए सभी पार्टियों के नेता आते है लेकिन गाँव की मुख्य समस्या मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ साथ 200 वर्ष बाद भी गाँव के नाम को लेकर भी परेशान हैं। उन्होंने बताया की सरकारी रिकार्ड व बोलते नाम के आधार पर तीन नामों से पुकारा जाता है जोड़कियांजोडिय़ां व जोड़ावाली। गांव के नाम के कारण डाक सुविधा में भी हमेशा गड़बड़ होती रहती है।  गांव में न तो स्वास्थ्य केंद्र हैन ही डाकखानागांव में अधिकतर गलियां कच्चीबस सुविधा का अभावनहरी पानी की कमीपेयजल समस्याखेल सुविधा का अभावशिक्षाबस सेवास्वास्थ्य सेवाएं बेहद लचर है। इन्होंने बताया ये समस्याएं हर बार चनाव में मुख्य मुद्दा बनती है, समस्या जस की तस बनी हुई है ।

 


एक नाम होना चाहिए

200 वर्ष बाद भी गांव के लोगों को गांव के नाम को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव को सरकारी रिकार्ड व बोलते नाम के आधार पर तीन नामों से पुकारा जाता है जोड़कियांजोडिय़ां व जोड़ावाली। ग्रामीणों का कहना है की गाँव का एक नाम होना चाहिए।

 

ऐसे रखे गए तीन नाम

सिरसा जिला मुख्यालय से मात्र 30 किलोमीटर दूर चोपटा खंड का छोटा सा विकास से कोसों दूर गांव जोड़कियां के ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव का रक्बा पहले निकट के गांव रूपावास का हिस्सा था। रूपावास से यहां पर खेती करने के लिए आना पड़ता था।  यहां पर पीने के पानी की जोहडिय़ां बनी हुई थीतो इस जगह को जोहड़ी वाली जगह के नाम से पुकारा जाता थारूपावास से हुड्डाचुरनियां व ढाका ग्रौत्र के लोग जिनकी जमीन यहां थी उन्होनें यहीं बसने का मन बना लिया व गांव को जोड़ावाली के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में धाीरे धीरे जोड़कियां व सरकारी रिकार्ड में जोडिय़ां नाम पुकारा जाने लगा।

 

गाँव की धार्मिक आस्था

गांव में  अति प्राचीन हनुमान मन्दिर,रामदेव जी का रामदेवराजाहरवीर गोगाजी की गोगामेड़ी,माताजी का मन्दिर बना हुआ है। जिनमें सभी गांव के लोग पूरी आस्था से पूजा अर्चना करते हैं। गांव में बाबा गोपालपुरी का डेरा व भगवान शिव का मन्दिर बना हुआ हैजिसके प्रति लोगों की अटूट आस्था है। सिद्ध बाबा गोपालपुरी 12 वर्ष तक यहीं तपस्या की थीयहां पर बाबा गोपाल पूरी का धूणा हैजहां पर अखंड ज्योत जलती रहती है।  गांव में प्राचीन चार जोहड़एक कुआं व पीपल के पूराने पेड़ गांव की शोभा बढ़ाते हैं।



गांव शिक्षा व सरकारी सेवा में भी है पिछड़ा

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक मात्र मिडल सरकारी स्कूल  है। आठवीं  के बाद पढाई के लिए दूसरे गांव रूपावास या रामपूरा ढिल्लों गावों के स्कूलों में जाना पड़ता हैकालेज स्तर की पढाई के लिए तो गांव से 30 किलोमीटर दूर सिरसा जाना पड़ता है। बस सुविधा का अभाव होने के कारण अधिकतर मां-बाप अपनी लड़कियों की पढाई छुड़वा लेते है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए के लिए दूर दूर शहरों में जाना पड़ता है। साधन सम्पन्न लोग तो अपने बच्चों को पढा लेते हैं लेकिन गरीब मंा बाप  बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दिलवा पाते। ग्रामीण स्कूल का दर्जा बढानें के लिए प्रयासरत हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के  तीन नामों के कारण आवश्यक डाक व अन्य सामग्री दूसरे गावों में पहुंच जाती है जिससे उन्हें सुचनाऐं सही समय पर नही मिल पाती।  उन्होंने बताया की गांव में आने वाले नेता व अधिकारियों के सामने कई बार रख चुके हैं। लेकिन इस समस्या का समाधान नही हो पा रहा है। राज्य के अन्तिम  छोर पर पडऩे के कारण विकास कार्यो के मामले  गांव अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। गांव से कर्नल मेहर चंद रिटायर्ड  फौज में  कार्यरत होकर देश सेवा की है

 

गाँव मे सुविधाए मुहैया करवाने के प्रयास जारी है

वर्तमान में गांव का पढा लिखा युवा सरपंच राकेश कुमार गांव में विकास कार्य करवाने में जुटा है। सरपंच राकेश कुमार का कहना है की

गांव में आंगनबाड़ी केंद्र है। जलघर बना हुआ है। लेकिन पीने पानी की हमेशा कमी रहती है। गांव में न तो स्वास्थ्य केंद्र हैनहीं डाकखाना है। पशु हस्पताल में पशु चिकित्सा ठीक ठाक है। गांव में कुछ गलियां  अभी भी कच्ची हैं व पानी निकासी का उचित प्रबंध नही है, बस सुविधा की कमी रहती है। इन सब समस्याओं को हल करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गाँव में आने वाले नेताओं के सामने भी समस्याओं को उठा रहे है।

फोटो। गांव में बना बाबा गोपाल पूरी का डेरागांव की किचड़ से सनी गलियां, चबूतरों पर बैठकर चुनावी चर्चा करते ग्रामीण, सरपंच राकेश कुमार  



200 वर्ष बाद भी गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ साथ तीन नाम जोड़कियांजोडिय़ां व जोड़ावाली बने हुए ग्रामीणों की परेशानी का सबब  

गांव में न तो स्वास्थ्य केंद्र हैन ही डाकखानागांव में अधिकतर गलियां कच्चीबस सुविधा का अभाव सहित कई समस्याऐ है बनती है चुनावी मुद्दा




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