पुराना किस्सा : दड़बा कलां विधानसभा सीट 1977 से 2005 तक अस्तित्व में रही, इस दौरान 7 बार हुए चुनावों में कौन जीता कौन हारा जाने पूरी जानकारी

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पुराना किस्सा : दड़बा कलां विधानसभा सीट 1977 से 2005 तक अस्तित्व में रही, इस दौरान 7 बार हुए चुनावों में कौन जीता कौन हारा जाने पूरी जानकारी





हरियाणा के सिरसा जिले के दड़बा कलां विधानसभा सीट साल 1977 से लेकर 2005 तक वजूद में रही। इसी सीट से सर्वाधिक तीन बार विद्या बैनीवाल विधायक बनने में सफल रहीं। महम कांड के बाद ओमप्रकाश चौटाला साल 1990 में दड़बा कलां सीट से ही उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का पहला चुनाव 

1977 के पहले चुनाव में दड़बा कलां सीट से जगदीश सिंह बैनीवाल ने आजाद चुनाव लड़ते हुए 17860 वोट हासिल करते हुए कांग्रेस के बहादुर सिंह को 4639 वोटों के अंतर से पराजित किया। बहादुर सिंह को चुनाव में 13221 वोट मिले। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का दूसरा चुनाव 

1982 के चुनाव में कांग्रेस से चुनाव लड़ते हुए बहादुर सिंह ने 30572 वोट लेते हुए लोकदल के जगदीश बैनीवाल को 2589 वोट के अंतर से पराजित किया। जगदीश सिंह को 27983 वोट मिले। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का तीसरा चुनाव 

1987 के चुनाव में जगदीश बैनीवाल की पत्नी विद्या बैनीवाल ने लोकदल से चुनाव लड़ते हुए 52394 वोट लिए और कांग्रेस के बहादुर सिंह को 29131 वोट से हराया। उन्होंने बहादुर सिंह को 23263 वोट के अंतर से हराया। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का चौथा चुनाव 

1991 के चुनाव में जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए मनीराम रूपावास ने कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल को 6043 वोट के अंतर से चुनाव हराया। भरत सिंह बैनीवाल को चुनाव में 29938 वोट मिले जबकि हरियाणा विकास पार्टी से चुनाव लड़ रहे बहादुर सिंह को 7864 वोट ही मिल सके। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का पांचवां चुनाव 

1996 के चुनाव में एसएपी से चुनाव लड़ते हुए विद्या बैनीवाल ने 36944 वोट लेते हुए हरियाणा विकास पार्टी के प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा को महज 194 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव हराया। इस कड़े मुकाबले में प्रहलाद को 36750 वोट मिले। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का छटा चुनाव 

साल 2000 के चुनाव में विद्या बैनीवाल तीसरी बार दड़बा से विधायक बनने में सफल रहीं। इस चुनाव में विद्या बैनीवाल ने लोकदल से चुनाव लड़ते हुए 48338 वोट लेते हुए कांग्रेस के डा. केवी सिंह को पराजित किया। 


दड़बा कलां विधानसभा सीट का सातवां और अंतिम चुनाव 

साल 2005 के चुनाव में भरत सिंह बैनीवाल पहली बार दड़बा से विधायक चुने गए। इस चुनाव में भरत सिंह ने बैनीवाल ने कांग्रेस से चुनाव लड़ते हुए इनैलो की विद्या बैनीवाल को 11444 वोट से हराया। विद्या बैनीवाल को चुनाव में 49558 वोट मिले थे।


इन हल्कों में जोड़े गये दड़बा कलां हलका के गांव


1. सिरसा हलका में इन  गांवों को शामिल किया 

गांव नहराना, नेजिया खेड़ा, चाडीवाल, अलीमोहम्मद, शाहुवाला द्वितीय, शेरपुरा, डिंग, जोधकां, ताजिया खेड़ा, नारायण खेड़ा, बेगू, कैंरावाली, गदली, कुक्कड़थाना, मोचीवाला, सालपुर।



फतेहाबाद हलका में इन गांवों को जोड़ा गया


 पीलीमंदोरी, वनमंदोरी, गदली, रामसरा, जंडवाला, बोदीवाली, गिल्लाखेड़ा, ढाबी खुर्द,


रतिया में जोड़ें गए गांव 


  मानावाली, खैराती, कुक्कड़वाली, शहीदावाली, ढाणी मेहताब, ढाणी चानण


 ऐलनाबाद हलका में जोड़े गए गांव 


 दडबां कलां, मानक दीवान, तरकांवाली, शाहपुरिया, नाथूसरी कलां, शक्करमंदोरी, रूपाना गंजा, रूपाना बिश्नोईयां, माखोसरानी, लुदेसर, रूपावास, बरासरी, जोड़कियां, गिगोरानी, कागदाना, रामपुरा बगडिया, चाहरवाला, कुम्हरियां, गुसाईआना, रामपुरा ढिल्लों, कुताना, जमाल, गुडिया खेड़ा, बकरियांवाली, निर्बाण, अरनियांवाली, रंधावा, रायपुरिया, माधोसिघाना, वरुवाली प्रथम, मल्लेका, केसपुरा


रानियां में जोड़ गये गांव 


 टीटूखेड़ा, नानकपुर, भंबूर, मंगाला, ढाणी काहन सिंह


कालांवाली में जोड़ गये गांव


 नरेल खेड़ा, मौजूखेड़ा, पतली डाबर, डिंग मोड, ढाणी माजरा आदि, खुआवाली,

 

ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में बजा लोकदल का डंका

 

ऐलनाबादः ऐलनाबाद के सियासी मिजाज को समझने के लिए इसकी भौगोलिक और अतीत की जानकारी जुटाना जरुरी है। 2008 से पहले दड़बा हलका वजूद में था। परिसीमन के बाद यह हलका समाप्त हो गया। इसके कई दर्जन गांवों को ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में शामिल किया गया। दड़बा क्षेत्र को पैंतालिसा के नाम से जाना जाता है। इसकी वजह है इस पूरे क्षेत्र में 45 गांव है। यह पूरा क्षेत्र बागड़ी बेल्ट में आता है। यह सारा इलाका ऐलनाबाद विधानसभा का हिस्सा है।



इसके अलावा ऐलनाबाद में ऐलनाबाद शहर के अलावा ऐलनाबाद के साथ लगते गांव है। पूरा इलाका खेती से जुड़ा हुआ है। सिंचाई और सेम की समस्या यहां के मुख्य मुद्दे हैं। इन मुद्दों के बाद विकास का मुद्दा अहम रहता है। ऐलनाबाद शहर में करीब साढ़े 30 हजार  वोट हैं जबकि कुल मिलाकर देखें तो ऐलनाबाद जाट बाहुल्य इलाका है। करीब 70 हजार मतदाता जाट समुदाय से हैं। 



ऐलनाबाद विधानसभा सीट से अभय सिंह चौटाला 2010, 2014, 2019 और 2021 का उपचुनाव जीतकर चौका लगा चुके हैं। उनसे पहले चौधरी भागीराम 1977, 1982, 1987 में जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। राजस्थान से सटे ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र पर एक तरह से चौधरी देवीलाल और चौटाला परिवार का दबदबा रहा है। यही कारण है कि देवीलाल और चौटाला के नेतृत्व वाले सियासी दलों के उम्मीदवारों ने यहां 15 में से 11 चुनाव जीते। 



इसके साथ ही ऐलनाबाद हलके के अतीत की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक वोटों से जीत का रिकॉर्ड खुद ओमप्रकाश चौटाला के नाम है तो सबसे कम वोटों के अंतर से जीत का रिकॉर्ड चौटाला के छोटे भाई स्व. प्रताप चौटाला के नाम है। 1970 के उपचुनाव में चौटाला ने 31024 वोट हासिल किए जबकि उनके प्रतिद्वंदी आजाद उम्मीदवार पृथ्वी राज को 12,278 वोट मिले। ऐसे में चौटाला 18,746 वोटों के अंतर से विजयी हुए। 



51 साल बाद भी यह रिकॉर्ड नहीं टूटा है। इसी प्रकार से 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में प्रताप चौटाला ने कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ते हुए आजाद उम्मीदवार लालचंद खोड को 2647 वोटों के अंतर से हराया। प्रताप को 20208 जबकि लालचंद खोड को 17,561 वोट मिले थे। 




कुल मिलाकर देखें तो ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में 1967 से लेकर 2019 तक दो उपचुनाव और 13 सामान्य चुनाव हुए हैं। चुनाव-दर-चुनाव जीत के अंतर की बात करें तो साल 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी पार्टी के लालचंद खोड ने 20816 वोट हासिल करते हुए कांग्रेस

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