गोगामेड़ी मेला 2024 : हरियाणा सीमा से सटे राजस्थान के पवित्र स्थल गोगामेड़ी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला सांप्रदायिक सद्भावना के प्रतीक गोगामेड़ी मेले में श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गए है। मेला परिसर में दुकानें व बाजार सजने शुरू हो गये हैं। मेला औपचारिक रूप से 19 अगस्त से ध्वजारोहण से शुरू होगा। इसके साथ ही पशु मेले का शुभारंभ भादरा के विधायक संजीव बैनीवाल व जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। 18 सितम्बर 2024 तक चलने वाले मेले में कृ ष्ण पक्ष का मुख्य पर्व 26 व 27 अगस्त को गोगानवमी पर व शुक्ल पक्ष का मुख्य पर्व 11 व 12 सितंबर को होगा।
गोगामेड़ी के गोगाजी मन्दिर में हिन्दू व मुसलमान सहित सभी बिरादरी के लाखों श्रद्धालु एक साथ पूजा अर्चना करते है। हिन्दू गोगाजी को वीर के रूप में पूजते हैं। तथा मुसलमान पीर के रूप में सजदा करते है। एक माह तक चलने वाले मेले के लिए देवस्थान विभाग राजस्थान व हनुमानगढ़ जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी में जूटा हुआ है। गोगामेडी मंदिर में आने वाले चढ़ावे की निगरानी को लेकर राजस्व विभाग की टीम को भी लगाया गया है। जो दानपात्रों पर पैनी नजर रखेगी।
बार मेला क्षेत्र को
चार भागों में बांटा गया है। गोगामेड़ी
में गुरू गोरख नाथ की जय,जाहरवीर की जय, गोगापीर की जय के गगनभेदी जयकारे
गूंजने लगे हैं। गोगामेड़ी हरियाणा की सीमा से मात्र 10 किलोमीटर दूर राजस्थान के
हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। हरियाणा के सभी जिलों से गोगामेड़ी के लिए एक माह तक
बसें चलाई जाती हैं। इसके अलावा स्पेशल ट्रेनों भी चलाई जाएंगी।
देश
के कोने से सभी धर्मों के लोग आते सजदा करने
हिन्दू, मुस्लिम, प्रत्येक वर्ग व धर्म के लोगों की आस्था के प्रतीक उतर भारत के प्रसिद्व मेले गोगामेडी़ में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व हिमाचल प्रदेश से लाखों लोग लोक देवता गोगा जी की समाधि पर धोक लगाने व सजदा करतेे हैं। गोगा जी को हिन्दू लोग वीर के रूप में तथा मुस्लिम पीर के रूप में पूजते हैं। गोगा जी की समाधि उनके मस्जिदनुमा मंदिर में स्थित है। जिसका हाल ही में जीर्णोंद्धार किया गया। जिससे मंदिर दूर से ही आकर्षक नजर अने लगा है। समाधि पर अश्वारोही गोगा जी की मूर्ति उत्र्कीण है।
गुरू शिष्य परंपरा के अनुसार गोगामेडी़ आने वाले श्रद्धालु पहले गोगाजी के मंदिर से दो किलामीटर दूर गोगाणा में पवित्र तालाब में स्नान कर गुरू गोरखनाथ के धुणे पर शीश नवातें हैं। बाद में गोगामेड़ी मंदिर में गोगाजी की समाधी पर पूजा अर्चना करते है। तथा प्रसाद के रूप में नारियल, खील, मिठाई, नीली ध्वजा, चद्दर, इत्र, धूप, पैसे व साने चान्दी के छत्र इत्यादि सामग्री चढाई। गोगा जी की समाधी पर धोक लगाने के बाद श्रद्धालु नाहर सिंह पांडे, माता बाछल, रानी सिरीयल, भजू कोतवाल, रतना हाजी, सबल सिंह बावरी, केसरमल, जीतकौर, श्याम कौर, भाई मदारण का समाधियों पर धोक लगाते है। तपती रेत व सड़कों पर पेट के बल कनक दण्डवत कर पहुँच रहे लोगों की श्रद्धा देखते ही बनती है। ढोल नगाडों पर नाचते गाते डमरू व सारंगी की लय पर आगे बढते श्रद्धालू गुरू गोरख नाथ की जय,जाहरवीर की जय,गोगापीर की जय,के गगनभेदी जयकारों से वातावरण पूरे भादो मास गुंजायमान रहता हैं। मेला परिसर में मनिहारी बाजार, लाठी बाजार ढोलक बाजार, फोटो बाजार, पुस्तक बाजार, मूर्ति बाजार, खिलौनों आदी की दुकानें सजने लगी है।
भाद्रपद महीने में चलने वाले रात्री जागरणों में गोगाजी के जन्म, विवाह, युद्व व पृथ्वी में समाने व उनके देवीय चमत्कार के किस्से जागरणकर्ताओं (जिन्हे समइया कहते हैं) द्वारा श्रद्धालुओं को सुनाए जाते हैं किवदंतियों के अनुसार गोगाजी की माता बाछल के कोई संतान नहीं थी माता बाछल ने गोरखटीला पर गुरू गोरखनाथ की पूजा पुत्र प्राप्ति के लिए की थी ।
महान योगी गुरू
गोरखनाथ की कृपा से गोगाजी की उत्पति हुई। ये गुरू गोरखनाथ के परम शिष्य हुए। गोगा
जी को सर्पो के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। गोगाजी के भक्तो को छाया घोट
आती है तो वे मस्त होकर नाचने लगते हैं। तथा शरीर पर लोहे की सांकल(छड़ी )से अपने
शरीर पर प्रहार करने लगते हैं। उधर राजस्थान का देव स्थान विभाग व हनुमानगढ़ जिला
प्रशासन मेला की कमान संभाल ली है। असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए क्लोज
सर्किट कैमरे लगाए जा रहे हैं। वर्दीधारी पुलिस बल के साथ सादी वर्दी में पुरूष व महिला कर्मियों को तैनात किया।
पशुमेला
में आने लगे ऊंट व्यापारी
गोगामेड़ी
में हर वर्ष आयोजित होने वाले उत्तर भारत के सबसे बड़े पशु मेले में भी ऊँट
व्यापारी अपने ऊँटों के टोलो के साथ पहुंचने शुरू हो गये है। यह मेला भी 19 अगस्त
से शुरू होकर 18 सितंबर तक चलेगा। पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित मेले में हरियाणा व
राजस्थान के किसान व ऊँट व्यापारी ऊँटों
के साथ आते हैं।
फोटो--
गोगामेड़ी गोगा जी का मन्दिर, गोगा
जी की समाधी
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