Heat Wave: दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत

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Heat Wave: दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत



Heat Wave:बीते कल बुधवार को इंडिया गेट के निकट बच्चों के पार्क में 55 वर्षीय एक व्यक्ति का शव मिला। दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत उन्होंने बताया कि मौत के कारण का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम कराया जाएगा। बेघर लोगों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ने दावा किया है कि दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हुई भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहने के चलते लू लगने से जान गंवाने वाले लोगों और यहां अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। गंभीर जल संकट से जूझ रही दिल्ली में अधिकतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री अधिक 43ण्6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शहर में न्यूनतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस रहा जो 1969 के बाद जून में सबसे अधिक है।



केंद्र द्वारा संचालित राममनोहर लोहिया ;आरएमएलद्ध अस्पताल में पिछले दो दिन में 22 मरीज लाए गए। अस्पताल में पांच मौतें हुई हैं और 12 से 13 मरीज जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बतायाए पीड़ितों को कोई अन्य बीमारी नहीं थीण् जब ऐसे लोग अस्पताल आते हैंए तो उनके शरीर का तापमान दर्ज किया जाता है और यदि यह 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक पाया जाता है तथा कोई अन्य कारण नहीं होता हैए तो उन्हें लू से पीड़ित मरीज घोषित कर दिया जाता हैण् उन्होंने बतायाए लू के कारण मरने वालों को हीटस्ट्रोक का संदिग्ध मामला घोषित किया जाता हैण् 



सफदरजंग अस्पताल में लू लगने से बीमार होने के कुल 60 मरीज आएए जिनमें से 42 को भर्ती किया गया। अस्पताल ने छह लोगों की मौत की सूचना दी हैए जिसमें 60 वर्षीय एक महिला और 50 वर्षीय एक पुरुष शामिल हैंए जिनकी मंगलवार को मौत हो गई। लोकनायक जयप्रकाश ;एलएनजेपीद्ध अस्पताल के अधिकारियों के अनुसारए पिछले दो दिन में हीटस्ट्रोक के कारण चार मरीजों की मौत हो गई है।


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अस्पतालों में स्थापित की हीटस्ट्रोक यूनिट Heat Wave

शरीर को तुरंत ठंडा करने के लिए अस्पताल ने अपनी तरह की पहली हीटस्ट्रोक यूनिट स्थापित की है। अधिकारी ने कहाए इस यूनिट में कूलिंग तकनीक है और मरीजों को बर्फ और पानी से भरे बाथटब में रखा जाता है। जब मरीज के शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से नीचे चला जाता हैए तो उनकी निगरानी की जाती है। अगर उनकी हालत स्थिर होती हैए तो उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। अन्यथाए उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। 

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