Haryana News : हरियाणा मे होगी वन मित्रों की भर्ती,। पौधों की देखभाल के लिए दिया जाएगा मानदेय
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह ने घोषणा की कि 'वन मित्र' योजना के तहत जल्द ही 'वन मित्र' की भर्ती की जाएगी। इन 'वन मित्रों' को पौधों की देखभाल के लिए मानदेय दिया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को ड्रोन का उपयोग करके मौजूदा पौधों और वृक्षारोपण अभियान के तहत प्रतिवर्ष लगाए जाने वाले पौधों की नियमित रूप से मैपिंग करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि अगर वन भूमि पर आग बुझाने में देरी हुई तो वन रक्षकों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक की जवाबदेही तय की जाएगी।मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में वन एवं वन्य जीव विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने 'प्राण वायु देवता योजना' का ब्रोशर भी जारी किया। बैठक में पर्यावरण, वन और वन्यजीव राज्य मंत्री संजय सिंह ने भाग लिया।
पेड़ों की देखभाल करने पर मिलेंगे 2750 रुपए
मुख्यमंत्री को बताया गया कि 20 करोड़ रुपये का बजट है। वर्ष 2024-25 के लिए वृक्षारोपण अभियान के लिए 150 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। हर्बल पार्कों पर 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि "प्राण वायु देवता" योजना के तहत, राज्य सरकार रुपये की वार्षिक पेंशन प्रदान करने की योजना बना रही है।
75 वर्ष से अधिक पुराने पेड़ों की देखभाल करने वालों को 2,750 रुपए इस योजना के तहत अब तक 3,819 ऐसे पेड़ों की पहचान की जा चुकी है। पौधों की जिओ-टैगिंग के निर्देश
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्रों से पेड़ों की अवैध कटाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।उन्होंने मानसून सीजन में वार्षिक वृक्षारोपण अभियान की समीक्षा की, निर्देश दिए कि इन पौधों को जियो-टैग किया जाए और ड्रोन की मदद से पांच वर्षों तक उनके विकास की निगरानी की जाए।
नायब सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाओं से न केवल वन्यजीवों की मौत होती है, बल्कि करोड़ों रुपए की लकड़ी की क्षति भी होती है और प्रदूषण में भी योगदान होता है। आग लगने की घटना पर प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक देरी हुई तो वन रक्षक से लेकर जिला स्तर के अधिकारी तक जवाबदेह होंगे।
जंगलों में ट्यूबवेलों से हो पानी की सप्लाई
सीएम नायब सैनी ने विभागीय अधिकारियों को कालेसर, सुल्तानपुर जैसे राष्ट्रीय उद्यानों और अन्य घने जंगलों में नहरों या ट्यूबवेलों से पानी की आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया ताकि अत्यधिक गर्मी के दौरान इस पानी का उपयोग वन्यजीवों द्वारा किया जा सके और आग बुझाने में सहायता मिल सके।
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