Education News: भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय ने पारम्परिक वाद्य यंत्रों के पाठ्यक्रम में आवेदन संख्या बढ़ाने के लिए आधी फीस कम कर दी है। नृत्य, गायन, वादन के बैचलर (बीपीए) और मास्टर (एमएपीए) कोर्स के लिए विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया जारी है।
पहली बार समर्थ पोर्टल के माध्यम से आवेदन लिए जा रहे हैं। इसी बीच विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह ने बैचलर इन पखावज, बैचरल इन सारंगी और बैचलर की इन सरोद पाठ्यक्रम में 50 फीसदी शुल्क कम करने की घोषणा कर दी है।
छात्रों की संख्या कम होने की वजह से लिया गया निर्णय
कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह ने कहा कि पिछले कई वर्षों में कुछ कोर्स ऐसे हैं, जिनमें या तो छात्र नहीं हैं या छात्रों की संख्या नगण्य है। इनमें पखावज, सारंगी और सरोद ऐसे वाद्य यंत्र हैं जो हमारे हिन्दुस्तानी संगीत की पहचान है। अगर इन कोर्स में छात्रों की संख्या कम रहती है तो आने वाले समय में पखावज वादक, सारंगी वादक और सरोद वादक नहीं निकलेंगे। हिन्दुस्तानी संगीत को बचाने और इन कोर्स में आवेदन संख्या बढ़ाने के लिए समिति ने 50 फीसदी शुल्क बीपीए में कम करने का निर्णय लिया है। पखावज, सारंगी और सरोद से बैचलर ऑफ परफार्मिंग आर्ट करने वाले छात्रों को अभी तक प्रत्येक सेमेस्टर छह हजार शुल्क देना पड़ता था जो कि अब सिर्फ तीन हजार रुपए प्रति सेमेस्टर शुल्क देय होगा। जानकारी के अनुसार आवेदन की अन्तिम 30 जून है। जिसे 15 जुलाई तक किया जा सकता है। इससे देश के भर के अभ्यर्थियों को आवेदन करने का पूरा मौका मिलेगा।
भातखण्डे में बही सुर, लय और ताल की रसधार
भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की ग्रीष्मकालीन अभिरुचि कार्यशाला का समापन शनिवार को प्रस्तुतियों से हुआ। कलामण्डपम में कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले बच्चों, युवाओं ने नृत्य, गायन, वादन की 17 मनोहरी प्रस्तुतियां दीं। मुख्य अतिथि समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण और विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. माणडवी सिंह ने उद्घाटन किया।
शिव के प्रदर्शन ने सभी का ध्यान खींचा
कृतिका त्रिपाठी के निर्देशन में तैयार शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति सदा शिव के प्रदर्शन ने सभी का ध्यान खींचा। वहीं अभिषेक त्रिपाठी के निर्देशन में भजमन करुणा निधान राम की प्रस्तुति हुई। वायलन वादन का प्रदर्शन राग भूपाली में हुआ। सितार वादन राग खमाज में मनोज कुमार के निर्देशन में कलाकारों ने सुनाया। हारमोनियम की धुन पर राम स्तुति व स्वरमालिका का प्रस्तुतिकरण कृष्णा कुमार मौर्या के निर्देशन में किया गया। भरतनाट्यम, मणिपुरी नृत्य और राजस्थानी नृत्य के भी रंग बिखरे।
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