भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) - 100, 200, 500

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भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) - 100, 200, 500

 


हमारे देश भारत के विकास यात्रा की रास्ते में भ्रष्टाचार एक बड़ा अवरोध है। भ्रष्टाचार से मुक्ति के दावों के बीच देश में कोई न कोई ऐसी घटना घटित हो जाती है जिससे सीधे यह प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाना किसी के बस में नहीं है। भ्रष्टाचार देश की लाइलाज समस्या हो गई है। भ्रष्टाचार से आशय अनैतिक, अनुचित या भ्रष्ट आचरण से है। नीति-नियम विरुद्ध कार्य-व्यवहार करना भ्रष्टाचार (corruption) कहलाता है। भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) केंद्रित इस पेज पर लिखे लेख की मदद से छात्र-छात्राओं को से भ्रष्टाचार पर निबंध (bhrashtachar per nibandh) और भाषण के लिए उपयोगी जानकारी मिलेगी।

 

भ्रष्टाचार गरीबों और कमजोर लोगों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। बेईमानी या धोखाधड़ी वाला व्यवहार भ्रष्टाचार के रूप में सामने आता है। भ्रष्टाचार के कई रूप हैं, जिनमें रिश्वतखोरी, गबन, भाई-भतीजावाद, सत्ता का दुरुपयोग और धोखाधड़ी शामिल है। आम जनता भी जब अपेक्षित तौर-तरीके से काम न करे तो वह भी भ्रष्टाचार की ही श्रेणी में आएगा। यहां भारत में भ्रष्टाचार (corruption essay in hindi) पर कुछ निबंध सैंपल दिए गए हैं।

 

भ्रष्टाचार पर निबंध 100 शब्दों में (100 Words Essay On Corruption in Hindi)

भ्रष्टाचार एक आम समस्या है जो हमारे देश में दशकों से बीमारी की तरह जड़ जमा चुकी है। यह समाज के सभी स्तरों को प्रभावित करता है, सबसे गरीब से लेकर सबसे अमीर तक। पहले जानें- भ्रष्टाचार क्या है? भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में भी देर नहीं करता है। देश में प्राकृतिक संसाधन, मानव बल के साथ भौतिक संसाधन होने के बाद भी देश के विकास में भ्रष्टाचार दीमक की तरह लग गया है। यह देश को गरीब और लाचार बनाता जा रहा है। रिश्वत की लेन-देन, गबन, घोटाला, चुनाव में धांधली, भाई-भतीजावाद, नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी, घूसखोरी, राशन में मिलावट आदि भ्रष्टाचार के उदाहरण हैं।

 

भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप अयोग्य और अपात्र को लाभ पहुंचता है। इससे सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास की हानि होती है, कानून का शासन कमजोर होता है और आर्थिक विकास में बाधा आती है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के विभिन्न प्रयासों के बावजूद, यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के लिए निरंतर सतर्कता और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।

 

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भ्रष्टाचार पर निबंध 200 शब्दों में (200 Words Essay On Corruption in Hindi)

भ्रष्टाचार एक व्यापक समस्या है जो कई दशकों से चिंता का विषय बनी हुई है। यह एक ऐसा ख़तरा है जो समाज के सभी स्तरों, सबसे ग़रीबों से लेकर सबसे अमीर लोगों तक को परेशान करता है। लालच और असंतुष्टि, देश का लचीला कानून भी भ्रष्टाचार की वजह है। भारत में भ्रष्टाचार विभिन्न रूपों में होता है, जैसे रिश्वतखोरी, गबन, भाई-भतीजावाद और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग। भारत में भ्रष्टाचार का मूल कारण पारदर्शिता, जवाबदेही की कमी और कमजोर कानूनी प्रणाली है। भारत देश में वैसे तो बहुत भ्रष्टाचार हुए हैं हर रोज कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में आम जनता का इनसे सामना होता रहता है।

 

वर्ष 1985 में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सूखा प्रभावित ओडिशा के कालाहांडी क्षेत्र के दौरे में कहा था कि देश में बहुत भ्रष्टाचार है, सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले 1 रुपये में से 15 पैसे ही जनता तक पहुंच पाते हैं। भारत में भ्रष्टाचार की समस्या पर तत्कालीन प्रधानमंत्री के इस कथन से समस्या की गंभीरता का पता चलता है।

 

आजादी के बाद सबसे पहले जीप खरीदी घोटाला (1948) देश में सामने आया था। आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 2000 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। इस घोटाले में ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद हो गया और वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई।

 

बोफोर्स घोटाला- 1987 में एक स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी से रिश्वत लेने के मामले में राजीव गांधी समेत कई बेड़ नेता फंसे। इसमें आरोप लगा की भारतीय 155 मिमी. के फील्ड हॉवीत्जर के बोली में नेताओं ने करीब 64 करोड़ रुपये का घपला किया।

 

1996 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य नेताओं ने राज्य के पशुपालन विभाग को लेकर धोखाबाजी से लिए गए 950 करोड़ रुपये कथित रूप से निगल लिए।

 

परिणाम : भारत में भ्रष्टाचार का देश के सामाजिक और आर्थिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप संसाधनों का गलत आवंटन, खराब प्रशासन और लोगों को आवश्यक सेवाओं की कमी आती है। भ्रष्टाचार ने लोकतंत्र और कानून के शासन को भी कमजोर कर दिया है, राजनीतिक दल और नेता, सत्ता और नियंत्रण बनाए रखने के साधन के रूप में भ्रष्टाचार का उपयोग कर रहे हैं।

 

उपाय : भारत सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की स्थापना करना, कानून और नियम बनाना, सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना। हालाँकि, भारत में भ्रष्टाचार एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है, जिससे निपटने के लिए निरंतर प्रयासों और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।

 

भ्रष्टाचार में भाग लेने से इनकार करने, भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने और अपने नेताओं से जवाबदेही की मांग करके भ्रष्टाचार से लड़ने में नागरिक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भारत में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और निष्पक्ष समाज के निर्माण के लिए सरकार और नागरिकों सहित सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।

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