जाने कौन-सा है दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पिए जाने वाला पेय पदार्थ

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जाने कौन-सा है दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पिए जाने वाला पेय पदार्थ


चाय पैदा भले ही कहीं ओर हुई होए लेकिन भारतीयों ने इसे सुबह ताजगी के लिएए थकान दूर करने के लिएए सिर दर्द दूर करने के लिएए आपसी चर्चा के लिए अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। अब चाय न केवल एक पदार्थ पेय हैए अपितु यह हमारी संस्कृतियों का केंद्र है। चाय का इतिहास हजारों साल पुराना है। हम आपको बता दें कि आज चाय दुनिया में सबसे अधिक पिया जाने वाला पदार्थ बन चुकी है। चाय का चाय नाम तो चीनी भाषा का शब्द है। हिन्दी भाषा में इसे दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी उष्णोदक कहा जाता है। हालांकि यह नाम चलन में नहीं है। हिंदी में चाय ही प्रचलित शब्द है। हरी और हर्बल चाय कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी हुई है। यह एंटीआक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स से भरपूर होती है। जो कि संपूर्ण स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।


1824 में पहली बार भारत में चाय उगाने की हुई शुरूआत

पहली बार वर्ष 1824 में भारत में चाय की फसल उगाने की शुरूआत की थी। ऐसा चीन के चाय उत्पादन के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए अंग्रेजों ने किया था। तभी से भारत के असमए दार्जिलिंग और नीलगिरी में व्यापक पैमाने पर चाय के बागान लगाए जाने लगे। भारत में आज अनुमानित तौर पर करीब 9ए00ए000 टन चाय का उत्पादन किया जाता है। 


लाखों लोगों को आजिविका देते हैं चाय उद्यान

देशों में लाखों गरीब परिवारों के लिए चाय आजीविका का मुख्य साधन भी है। चाय उद्योग कुछ सबसे गरीब देशों के लिए आय और निर्यात राजस्व का एक मुख्य स्रोत है। चाय सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक होने के कारण विकासशील देशों में ग्रामीण विकासए गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कई शोध के अनुसार पेय के सूजन.रोधीए एंटीआॅक्सीडेंट और वजन घटाने के प्रभावों के कारण चाय का सेवन स्वास्थ्य लाभ और तंदुरुस्ती ला सकता है। कई समाजों में इसका सांस्कृतिक महत्व भी है।


चाय के सेवन से शरीर में होते हैं कई फायदे

ब्लैक.टी: चाय तो देश.दुनिया में करोड़ों लोग पीते हैंए लेकिन बहुत से लोग ब्लैक टी ज्यादा पीते हैं। इस चाय में दूध का मिश्रण नहीं किया जाता। चाय की पत्तियों को सुखाकर यह चाय तैयार की जाती है। इसकी खेती भारत के अलावा तिब्बतए चीनए मंगोलिया में की जाती है।


ग्रीन.टी: ग्रीन टी के वे लोग शौकीन होते हैं तो खुद को फिट रखना चाहते हैं। इसके लिए ग्रीन टी को कारगर माना जाता है। चिकित्सक मानते हैं कि ग्रीन टी में कैंसरए डायबिटीज व मानसिक रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। अपना वजन घटाने के लिए भी लोग ग्रीन टी का नियमित सेवन करते हैं। इसकी खेती भारत व चीन में होती है।


ब्लू.टी: अपराजिता नामक फूल से ब्लू टी बनती है। यह एक हर्बल चाय होती है। ब्लू टी इंसान की याददाश्त बढ़ाने में सहायक होती है। इसके साथ ही इससे एंग्जायटी घटता है। इस चाय को पीने से अस्थमा में भी आराम मिलता है। डायबिटीज को भी रोकती है।


रेड.टी: दक्षिण अफ्रीका में उगने वाले एस्पैलाथस नामक एक पेड़ से यह चाय मिलती है। इसे रूइबोस टी भी कहते हैं। ग्रीन टी की तुलना में इसमें 50 प्रतिशत अधिक एंटीआॅक्सीडेंट होते हैं। इसको पीने से डाइजेशन ;हाजमाद्ध ठीक रहता है और बाल मजबूत होते हैं।


येलो.टी: येलो टी की शुरूआत चीन से ही हुई थी। इसमें एंटीआॅक्सीडेंट ग्रीन टीम के बराबर ही होती हैं। इसकी पत्तियों को खास तरीके से सुखाकर चाय में परिवर्तित किया जाता है।


पिंक.टी: यह चाय भी ग्रीन व ब्लू चाय की तरह डायबिटीज व पेट के रोगों से लड़ने में सहायक होती है। हिबिस्कस ;गुड़हलद्ध के फूलों से यह चाय तैयार की जाती है। 

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