मन की कोमलता और व्यवहार में विनम्रता बहुत बड़ी शक्ति है। कोमलता सदा जीवित रहती है और कठोरता का जल्दी नाश होता है। तलवार कठोर से कठोर पदार्थ को काट डालती है, परंतु रूई के ढेर को काटने की ताकत तलवार में नहीं है। महाभारत का प्रसंग है। धर्मराज युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से अन्तिम समय में कुछ जीवनोपयोगी शिक्षा का आग्रह किया। भीष्म पितामह बोले, नदी समुद्र तक पहुंचती है, तो अपने संग पानी के अतिरिक्त बड़े-बड़े ,ऊंचे-लंबे पेड़ साथ ले आती है।
एक दिन समुद्र ने नदी से पूछा, तुम पेड़ों को तो अपने प्रवाह में ले आती हो, परंतु कोमल बेलों और नरम पौधों को क्यों नहीं लातीं? नदी बोली, जब-जब पानी का बहाव आता हैं, तब बेलें झुक जाती हैं और झुक कर पानी को रास्ता दे देती हैं इसलिए वे बच जाती हैं। भीष्म पितामह ने कहा,‘‘जीवन में सदा कोमल बने रहना, क्योंकि कोमल व्यक्ति का अस्तित्व सदा रहता है, कभी समाप्त नहीं होता।’’
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