एक पेड़ पर दो तोते रहते थे। एक का नाम था सुपंखी और दूसरे का नाम था सुकंठी। दोनों एक ही मां की कोख से पैदा हुए थे। दोनों के रंग-रूप, बोली और व्यवहार एक समान थे। दोनों साथ-साथ सोते-जागते, खाते-पीते ओर फूदक ते रहते थे। बड़े सुख के साथ दोनों का जीवन व्यतीत हो रहा था। अचानक एक दिन बिजली कड़कने लगी और आंधी आ गई। ऐसे में सुपंखी हवा के झोेंके से मार्ग भटकता चोरों की बस्ती में जा गिरा ओैर सुकंठी एक पर्वत से टकरा कर घायल होकर ऋषियों के आश्रम में जा गिरा। धीरे-धीरे कई वर्ष बीत गए।
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सुपंखी चोरों की बस्ती में पलता रहा और सुकंठी ऋ षियों के आश्रम में। एक दिन वहां का राजा शिकार के निकला । रास्ते में चोरों की बस्ती थी। राजा को देखते ही सुपंखी कर्कश वाणी में चिल्लाया, ‘‘मार, मार,मार।’’ भागते-भागते राजा ने पर्वत पर जाकर शरण ली। वहां सुकंठी की मधुर वाणी सुनाई दी, ‘‘राम-राम ... आपका स्वागत है।’’ राजा सोचने लगा कि दो तोेते रंग-रूप में बिल्कुल एक समान, परंतु दोनों की वाणी में कितनी असमानत है। सच है, जैसी संगति में रहोगे, वैसा ही आचरण करोगे।
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